ये जो कच्ची सड़कें हैं न
जिन्हें तुम पक्की सड़कों में तब्दील कर रहे हो
मत करो ऐसा
सुनो, मत जोड़ो इन्हें नेशनल हाईवे से
इन्हें यूँ ही गड्ढेदार रहने दो
इन टूटी-फूटी सड़कों पर ही तो गुज़रा है मेरा बचपन
न जाने कितनी यादें आज भी बिछी हैं इन सड़कों पर
मुझे चलने दो नंगे पाँव इन सड़कों पर
चुभने दो यादों का कोई नुकीला पत्थर मेरी एड़ी में
इन्हीं सड़कों से होकर तो जाती थी स्कूल
याद है मुझे बचपन की वो मिट्टी वो धूल
इस धूल को अब मेरी आँखों को भिगोने दो
सुनो, आज तो बस जी भर के रो लेने दो
वो चौराहे वाला मन्दिर वो कोने वाली मस्जिद
इन्हीं सड़कों पर तो मनी है वो दिवाली वो ईद
आज यादों के दिये से इन सड़कों को सजा लेने दो
मुझे एक बार फिर बचपन को गले लगा लेने दो
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