महक जाऊं तेरी जिंदगी के हर खुशनुमा लम्हे में,
काश, मैं तेरे हाथों में मेहंदी सा रचा-बसा होता!
धड़क जाता मेरा दिल तेरे आने की आहट से ही,
काश, मैं तेरे पैरों में पायल की सी झंकार होता!
खनकता रहता मैं तेरे दिल मे हर पल हर लम्हा,
काश, बन के चूड़ियाँ मैं, तेरी कलाई में होता!
चमकता मैं चाँद की तरह अमावस की रात में भी,
काश, बन के काजल तेरी आँखों मे समाया होता!
खुशबू की तरह बिखर जाऊं तेरी हर मुस्कुराहट में,
काश, बन के गजरा मैं, तेरे बालों में इतराया होता!
बन के सूरज दमकता मैं ओज सा तेरे तन-मन मे,
काश, मैं तेरे माथे की सुर्ख दमकती बिंदी होता!
बना लूँ तुमको जन्म जन्मांतर का जीवनसाथी,
काश, मैं तेरी मांग का अमर सुहाग सिंदूर होता!
__राज सोनी
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