कोई "व्यक्ति" मरता है तो उस पर होता है "शोक", पर जब वो व्यक्ति, "एक व्यक्ति" से बन जाता है "सरकारी आंकड़ा" तो उस पर शोक नहीं बस होता है "बहस", और वो बन जाता है "मरे हुए शरीर" से "अगले चुनाव" में "वोट बटोरने "का "मुद्दा"..!!! (:--स्तुति)
ये कितना बड़ा व्यंग है अपने देश का, कि "सरकारी स्कूल" में पढ़ते हैं बस "गरीब आम जनता के बच्चे", "सियासत द्वारा प्रशासित स्कूल" में सियासी लोग "अपने बच्चे" को ही नहीं पढ़ाते..!!!!
कोई सरकारी नौकरी की तैयार में था जुटा किसी की हर रोज की कमाई से जलता है चूल्हा कोई केस मुकदमे में था न्याय की आस में फसा किसी की डोली सज कर थी घर के आँगन में तैयार कुछ लोगों के छोटे छोटे सपने सजाये थे अपनी कमाई पे कोई किसी से मिलने की आश में था वर्षो से नजरें बिछाये न जाने कितने लोंगो पे ये शीतम ढा रहा है चीन की गुस्ताख़ी की सजा पूरा देश काट रहा है
उनकी ख्वाबों का हम एक आशियाना बनाने लगे पाई पाई जोड़कर के हम दौलत कमाने लगे फिर हुआ यूं कि, उनको मिला एक सरकारी नौकर तबसे ही वो हमसे ना मिलने के बहाने बनाने लगे