दूसरों के लिए मन में जो छवि बनाते हो,
शब्दों के जो बाण दूसरों पर चलाते हो,
करते हो जैसे दूसरों के साथ व्यवहार,
वैसा ही सब खुद के बारे में भी सोच कर देखना एक बार।
खुद को भी रखना दूसरों की स्थिति में, तो तुम्हें बात का दूसरा पहलू समझ आएगा,
किसी का दिल दुखाने से पहले,
सोचना:
क्या यही सब तुम्हारे साथ भी हो
तो क्या तुम्हें भाएगा?
समृद्धि का यही है कहना,
साईनाथ हम सब में संवेदना
का भाग जगाए रखना।
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