QUOTES ON #श्रृंगार

#श्रृंगार quotes

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9 AUG 2019 AT 0:26

वस्ल की रात लिखती,हिज़्र का इज़हार
लिखती हूँ।
लिखी मैंने मोहब्बत है,हाँ मैं तो प्यार
लिखती हूँ।
कलम नन्ही हूँ तो हल्के में मत लेना मुझे क्योंकि...
कृष्ण की राधिका हूँ मैं तो बस श्रृंगार
लिखती हूँ।।
✍️राधा_राठौर♂

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19 DEC 2018 AT 10:40

आतुर प्रेयसी की भांति
कविताएं
भांति-भांति के श्रृंगार से
अपने
काव्य सौष्ठव
निहारती हैं
दहलीज लांघने
से पूर्व....!!

प्रीति

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4 JAN 2018 AT 11:53

मन का मन से परिणय (अनुशीर्षक में पढ़ें)

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रात और दिन, दो सगी बहन।
दिन है बड़ी छैल छबीली,
रात है थोड़ी सी शर्मीली।
दिन का है ऐसा रहन सहन,
निकलती है वो रंग बिरंगी पोशाक पहन।
दिन करती है ढेरों साज-सज्जा,
जिस पर आये नादान रात को लज्जा।
पर इक दिन उसकी भी इच्छा जागी,
वो भी कुछ श्रृंगार करे, जन मानस
उसके रूप का भी गान करें।
दौड़ी भागी रात अकेली
राह में मिल गयी साँझ सहेली।
रात ने अपनी इच्छा बतलाई
साँझ ने हाथ थाम एक तरक़ीब सुझाई।
टांक लायी सितारें अपनी स्याह चूनर पर
ओढ़ लिया रात ने उसे झूम-झूम कर।
संग लगा ली एक लाल चाँद की बिंदिया
और देखो उड़ा दी मेरी आँखों की निंदिया।

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13 AUG 2020 AT 14:27

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16 JAN 2020 AT 6:58

लहर कहे ह्रास समय का
लोप रहे मिलन का
आतुर है हृदय
कूल पर आने को
मांगे क्षण भर श्रृंगार का!

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27 SEP 2018 AT 12:44

वो धीर गंभीर अर्णव सा,
मैं अविरल वेग आपगा समान
वो सुधि,स्थिर महीधर सा,
मैं चपल चंचला मृगी समान
आलिंगन हो जब उसका,
मैं मौन शमित सी हो जाऊँ
जैसे छुपता है मिहिर अंबुध में,
हो एकसार मैं 'अद्वितीय' कहलाऊँ....

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10 AUG 2020 AT 18:34

Inke galo ki lali jan lene waali...
Inke kaano ki baali,,Badi matwalli...
Inpe jachati hai sadhi sari kali colourwali...
Or aankho me kajal jese meri gharwali...
Ye sayari hai to comment me mat dena gaali...

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8 SEP 2020 AT 9:47

मुझे रंगों का कोई मोह नहीं,
अब 'भस्म' ही मेरा श्रृंगार है।

ना छूने की तुम गलती करना,
अब बदन यह मेरा अंगार है।

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12 JUN 2019 AT 12:15

कोई हिजाब से पर्दा
कोई घुंघट कर लेती है

कोई आँखो में सूरमा
कोई गहरा काजल भर लेती है

कोई आज्ञा चक्र पर गोल बिंदी
कोई अर्ध चन्द्र गढ़ लेती है

कोई केशों को त्रिवेणी में
कोई गोल चाँद से जुड़े में तारे भर लेती है

कोई हाथो को मेहंदी
कोई लाल अलते से रंग लेती है

कोई पैरों में पाजेब
कोई नज़र का काला धागा कस लेती है

वो स्त्री ही है
जो कभी दिल से
तो कभी दिल रखने के लिए
श्रृंगार कर लेती है।

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