हाथ चलते हो तब तक कमाना चाहिए,
यूंही नहीं सामने किसी के फैलाना चाहिए।
दरवाज़ा चाहे खुला हो अजनबी घर का,
औरत हो अकेली तो खटखटाना चाहिए।
मरहम और नमक दोनों मिलते हैं शहर में,
जख्म अपना सोच समझ के दिखाना चाहिए।
बेटी को पहना देते हो संस्कारों के गहने,
मशविरा है कि बेटे को भी समझाना चाहिए।
भूल शामिल है आदमियत की हस्ती में हमेशा,
हर गलती को कभी न कभी भूल जाना चाहिए।
देखने हो गर अपनेपन के दिखावटी प्रिज्म,
रिश्तेदारों को गम अपना बताना चाहिए ।
शौक रखो अगर जेब इजाजत दे तुम्हारी,
पहले जिस्म पूरा चद्दर के अंदर समाना चाहिए।
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