🥀सीपी की सी रंगत देखी
देखा पूर्ण चन्द्र आनन
तन का जग,लावण्य है देखे
देखे हरा भरा कानन
नयन में आसव लाली देखी
घन घुंघराले देखे केश
स्कंध से गिर गिर नीचे आता
ऐसा जग ने देखा भेष
अधरों की मदिरा भी देखी
देखा है ज्यामिति का ढंग
मलयानिल के तन को देखा
देखा जग ने रूपोरंग
पर "तुमने" वो कांति देखी
बसी मेरे इस हिय में थी
जग की दृष्टि कभी ना पहुंची
वो प्रतिभा हां तुममें थी
नारी केवल वरण है करती
हृदय को उसके छू ले जो
तन को पाने में क्या रखा
पुरुष वही मन पा ले जो🥀
-