QUOTES ON #व्याप्त

#व्याप्त quotes

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15 MAR 2017 AT 7:03

हर तरफ है व्याप्त वो
पर मुझे न प्राप्त वो

मैं बहुत ही क्लांत हूँ
मन ही मन अशांत हूँ

निकल पड़ता हूँ रोज में
एक उसी की खोज में

जिसका आदि न अंत है
कहते हैं वो अनंत है

कण कण में जो व्याप्त है
उसका एक क्षण ही पर्याप्त है

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16 MAR 2017 AT 23:37

अँधेरे में भी
एक भय व्याप्त है
के कोई मासूम लड़की
उस से आकर सहारा ना माँग ले
वो बेचारा भी
और कितना दर्द सहेगा
अकेलेपन से डरा हुआ
कोई आकर उसकी रात ना माँग ले

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24 MAR 2019 AT 14:37

# व्याप्त #

तुम मुझमें, मैं तुझमें, व्याप्त

फिर भी लगता है, कुछ अप्रयाप्त

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29 JUL 2017 AT 8:22

आज तुम विष दो या विषाक्त दो
भाव सरिता आज सुसुप्त हुयी है
भर कर स्वांस ऊष्मा इसे प्रवाह दो

ह्रदय स्पंदन क्षीण हो रही अनवरत
नही चाहिए की मिलन सुखान्त हो
इस विरह व्यथा को बस प्राणांत दो

स्पर्श तुम्हारा ज्यों है प्राण प्रवाहक
क्यों करते हो विरहन को तंग नाहक
चिर समर्पण नितांत मुझमे व्याप्त हो


शब्द शब्द मेरे मौन हो रहे जाने क्यों
मुझे नही पसंद मुझमे कोई शांत हो
मृत तूलिका को आज तुम आवाज दो

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15 MAR 2017 AT 17:33

तुम व्याप्त थे मुझमें मग़र मैं ढूंढ़ता ही रह गया,
तुम तोड़ते थे रोज़ दिल मैं जोड़ता ही रह गया,
पिघलता था क्रोध तुममे मोम बनकर,
मैं ज़िन्दगी भर पत्थरों को तोड़ता ही रह गया।
तुम जिन ख़तों को फाड़ देती थी कभी पन्ना समझकर,
मैं उन ख़तों में अक्स तेरा ढूंढ़ता ही रह गया।
तुमने बिखेरा जिन पलों को ओस की बूंदें समझकर,
मैं उन्हें मोती समझकर जोड़ता ही रह गया।
जिन मटकियों पर , तुमने उकेरा चित्र मेरा,
मैं उन्हें दर्पण समझकर फोड़ता ही रह गया।
तुम व्याप्त थी जिस वक़्त में एक खुशनुमा सी शाम बनकर,
उस वक़्त को अपनी तरफ मैं मोड़ता ही रह गया।

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9 SEP 2021 AT 0:06

व्याप्त है स्तब्धता घनघोर
अपने पदचाप से
कोलाहल में तब्दील कर दो

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15 MAR 2017 AT 21:29

कलि की वो व्यापत खुसबू मन की इस

वासना को उसे तोड़ने पर मजबूर
कर देती है.... और उसे अपना
"आज"समझ बैठती है...क्यों??!


वक़्त की पंखुड़ियों को जरा खुलने दो..
"कल "को थोडा खिलने दो...


जब वो "कल"खिल जाए
फिर न कहना उसकी खूबसूरती पर नाज है
क्योंकि वो बिता हुआ या आने वाला कल नहीं....
वो तेरा आज है ।

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15 MAR 2017 AT 18:50

जो लीन सदा व्यापार में है,
चैन व्याप्त सिक्कों की झंकार में है,
बात करने को बची है बात इतनी,
आपकी कॉल कतार में है।

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16 MAR 2017 AT 8:15

मैं अंत हूँ, अनंत हूँ
मैं ओमकार महामंत्र हूँ ।
मैं शुरुआत, मैं कायनात
सारी सृष्टि में मैं व्याप्त।
मैं शांति, मैं क्रोध हूँ
जीवन का मैं स्त्रोत हूँ ।
सौम्य हूँ, प्रचंड हूँ
मैं कर्मफल, मैं दंड हूँ ।
मैं मृत्यू, मैं काल हूँ
मैं महादेव,महाकाल हूँ ।
कैलाशी, मैं दिव्य हूँ
मैं शम्भुनाथ, मैं भोलेनाथ
मैं नटराज, मैं शिव हूँ ।।

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15 MAR 2017 AT 19:37

"मौला मेरे ,तू ही तू व्याप्त है हरसूं
फिर भी ,तुझको ही पाने की जुस्तजु !"

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