मैं अंत हूँ, अनंत हूँ
मैं ओमकार महामंत्र हूँ ।
मैं शुरुआत, मैं कायनात
सारी सृष्टि में मैं व्याप्त।
मैं शांति, मैं क्रोध हूँ
जीवन का मैं स्त्रोत हूँ ।
सौम्य हूँ, प्रचंड हूँ
मैं कर्मफल, मैं दंड हूँ ।
मैं मृत्यू, मैं काल हूँ
मैं महादेव,महाकाल हूँ ।
कैलाशी, मैं दिव्य हूँ
मैं शम्भुनाथ, मैं भोलेनाथ
मैं नटराज, मैं शिव हूँ ।।
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