बुरा लगने लगा है अच्छा बनना, या अच्छा बने रहना। अच्छाई इस दुनिया में बनावटी लगती है।
क्यों ख़ोजते हैं लोग सार्थकता मेरे शब्दों में? निरर्थक शब्दों का भी अर्थ होता है। और कभी कभी अर्थहीन होना भी व्यर्थ नहीं होता। खैर छोड़ो, तुम नहीं समझोगे। मेरी बातें समझदार लोगों के लिये नहीं होती।