न जाने क्या है हम दोनों के दरमियाँ जो
दूर रह कर भी पास आ जाते है .....
तुम्हारे दिए सितम आज भी याद है
मुझे फिर भी न जाने दिल मानने को तैयार
हो नही कुछ तो है हम दोनों के दरमियाँ जैसे
दिल का धड़कन से, आंखों का आंसू से.....
शायद ये खुदा का बनाया हुआ वो अटूट रिश्ता है
जो न कभी जुड़ सकता है और न कभी टूट सकता....
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