QUOTES ON #रवानी

#रवानी quotes

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7 DEC 2019 AT 19:07

ऐ मौत...!
क्या सुनाऊं अपने सब्र की कहानी,
तू उम्र भर रही, मेरी कब्र की रवानी...

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10 AUG 2020 AT 12:47

इश्क़ है, दोस्ती है और रवानी है
लोग कहते हैं यही तो जवानी है

रुक नहीं रहा है रफ़्तार-ए-ज़माना
वो उसका, वो किसी की दीवानी है

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8 FEB 2020 AT 20:01

आप
मेरे घर की कहानी हो,
मेरे इश्क़ के दिल की निवासी हो,
जिसे चाहा था मैंने बे-शूमार
तुम उसी धड़कन की रवानी हो...!

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7 MAR 2020 AT 7:59

अँधेरा, रौशनी के जूनून से जल रहा है,
और एक चिराग़ है कि सुकून से जल रहा है!
रगों में जिसकी है पानी की रवानी “राज”
वही शख़्स मेरे उबलते ख़ून से जल रहा है!
_राज सोनी

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26 MAR 2021 AT 9:46

थोड़ी नई थोड़ी पुरानी है,
कुछ कही कुछ अनकही कहानी है।
कुछ समझी कुछ नासमझी है।
जिन्दगी है जनाब......
कभी ख़ुशी तो कभी गम की
रवानी है।।

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23 JUL 2020 AT 22:32

चुभते काटों में भी,
फूलों का यूँ मुस्कुराना,
दे जाता है सबक,
ये हाल-ए-ज़िंदगी...

ख़ुशनुमां बनाकर,
राहें प्यार की,
ख़ुशबू मिजाज़ की,
महकती है हर घड़ी...

नाज़ुक़ सी पंखुड़ियों में,
मोहब्बत की रवानी लेकर,
मुक़म्मल इश्क की दास्तां,
सुनाती है घड़ी दो घड़ी...

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9 MAY 2019 AT 15:47

' छोटी सी है जिन्दगानी '

आकाश में जैसे चंदा
धरती पे नदिया का पानी
तेरी चाल में हो रवानी
बस यही है जिन्दगानी|

छोटे से ही जीवन में फूल
दे जाते हैं लाखों खुशियां
बैठा रहे ना यूं गुमसुम
उदासी में खो न घड़ियां
ये जीवन तो दीवाने
दुख-सुख की है कहानी
कभी कम कभी ज्यादा
बस यही है जिन्दगानी|

रूकने वाले को राही
मंजिल मिलती नही है
एक बार जो छूट जाए
वो जिंदगी फिर मिलती नही है
रच अपने हौंसलों से
हर पल एक नई कहानी
तू छू ले अपना आसमां
क्यूंकि 'छोटी सी है जिन्दगानी '|.......निशि

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1 MAY 2017 AT 2:09

ख़ामोश सी एक नदी का किनारा था
किनारे पर खड़ा एक हरा-भरा दरख़्त था
दरख़्त के नीचे एक चटाई बिछाई थी
चटाई पर फूलों की सेज़ भी सजाई थी
तभी एक मदमस्त हवा का झोंका आया
ज़ालिम झोंके ने मासूम पंखुड़ियों को उड़ाया
उड़ती-उड़ती पंखुड़ियां जा पहुंची उनके कऱीब
खुली थी ज़ुल्फें जिनकी, देखता रहा मैं गऱीब
बला का हुस्न था, हुस्न में ख़ुशनुमा रवानी थी
शुरू हुई यहीं से हमारी मोहब्बत की कहानी थी
आज भी बैठे हैं उसी नदी के किनारे
मगर नदी में अब उफ़ान है
दरख़्त है अभी भी वहाँ
पर वो भी अब 'हरे' से अन्ज़ान है
चटाई है, पर मटमैली सी
फ़ूल हैं, पर मुरझाये से
हवा का झोंका भी अब गर्म है
हमारी तबीयत भी कुछ नर्म है
लगता है जैसे कुछ कमी है
मौसम में घुल रखी नमी है
ना वो खुली ज़ुल्फ़ों का नज़ारा है
ना उसके हुस्न के दीदार का सहारा है
बैठा हूँ मैं अब भी वहाँ
भूल आया हूँ अपना सारा 'जहां'
इंतेज़ार है, क़रार है
ख़ुदा है, उस पर ऐतबार है
- साकेत गर्ग

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6 MAR 2018 AT 19:01

भेज दो
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सांसों की रवानी भेजा है तो
कुछ हसीं पल भी भेज दो
नफ़रत की आग भेज दिया तो
मुहब्बत का पानी भी भेज दो

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22 MAR 2017 AT 2:19

इतेफ़ाक से मिलते-मिलते
जाने कब
तुमसे 'वो मुलाक़ात' हो गयी,
मुलाक़ात करते-करते
जाने कब
तुमसे 'वो बात' हो गयी
बात होते-होते
जाने कब
तुम 'मेरे जज़्बात' हो गयी
जज़्बात बनते-बनते
जाने कब
तुम मेरी 'हर रात' हो गयी

अब हर रात भी तुम हो
ख़्वाब-ओ-ख़्यालात भी तुम हो

मेरी सारी ज़िन्दगानी
मेरी रवानी
मेरी कहानी भी तुम हो
- साकेत गर्ग

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