QUOTES ON #मेरीनाव

#मेरीनाव quotes

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7 MAR 2017 AT 18:05

आओ फिर से बच्चे बन जाएँ
कागज़ की हम नाव बनाएँ
होने वाली है देखो बारिश
आओ नाव की रेस लगायें

चुनावी पोस्टर हमने उखाड़ा
आड़ा तिरछा सबने फाड़ा
किसी में कमल किसी में हाथ
आओ तैरायें एक साथ

पप्पू को आया था ताव
थोड़ी बड़ी थी उसकी नाव
बीच भँवर जब नैया डोली
बँट गयी फिर उसकी टोली

केजू ने छोड़ी दो दो नाव
जैसे हो टोपी "आप" की
एक ऑड एक इवन
दोनों थी एक नाप की

अचानक सब ही दौड़े भागे
कमल निकल पड़ा था आगे
जीत गयी मोदी की नाव
मानो जीता हो चुनाव

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7 MAR 2017 AT 0:19

वक्त के थपेड़ों ने
इतना तो समझा ही दिया
के बचपन में कागज़ की नाव
कभी डूबती क्यों नहीं थी

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7 MAR 2017 AT 1:30

ज़िन्दगी की लहरों में छटपटाते हम..

वो एक सांस की चाह में तड़प रहे।

वो ना रह गयी अब कागज़ की नाव..

वो ना वक़्त रहा वो ना हम ही रहे ।।

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6 MAR 2017 AT 21:58

बच्चो ध्यान से सुनो
ज़िन्दगी कागज़ की नाव की तरह है
गहरे पानी में अक्सर डूबती जाती है
मगर ध्यान से चलाओ तो बड़े ही आराम से तैरती रहती है
नाव की तरह कभी हार न मानना
क्योंकि भगवन का हाथ हमेशा तुम्हारे सर पर है

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8 MAR 2017 AT 9:42

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6 MAR 2017 AT 22:16

कागज़ की नाव

(Poem in caption)

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7 MAR 2017 AT 18:46

काग़ज़ की नाव हर बच्चे के बचपन की कहानी थी
ये बात कुछ सालों पुरानी थी

बारिश में भीगने के लिए हर बच्चे का बहाना था
काग़ज़ की नाव को बनाके उसे तैराना था
कोई पुरानी किताब मिलते थी काग़ज़ की नाव बना लेते थे
बारिश आते ही सब बच्चे आनंद लेते थे

आज काग़ज़ की नाव कही नज़र ही नहीं आती
बारिश भी उसके बिना अधूरी सी लगती
बचपन आज बच्चों का इंटरनेट के काले अंधकार में भटक गया है
दूरभाष यन्त्र काग़ज़ की नाव को लेके डूबा है

बारिश का वो सड़क पे बहता पानी
इंतज़ार कर रहा है काग़ज़ की नाव की सवारी की
बच्चों की खिलखिलाती हसी की
आज का बचपन काग़ज़ की नाव की तरह ही हो गया है
दोनों ही कही खो चुके है

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6 MAR 2017 AT 22:51

कागज़ की नाव,
बरसों से,
मुझसे रूठी हुई थी,

आखिर उसको मैं,
यूँ ही,एक दिन,
जवानी की देहरी पर,
चढ़कर,
बहुत नीचे,
अपने बचपन में,
छोड़ आया था,

दिल दुखा,जब,
आज पोती की नाव ने,
मुझे बेरुखी से देखा,

मैंने झट से उसको,
गले लगाया,
और प्यार से मनाया,
आखिर आज एक और,
"लोट के बुद्दू,घर को आया"।

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7 MAR 2017 AT 17:29

चल पड़ी रे चल पड़ी
नाव हमारी चल पड़ी

राजू मुन्ना कालू आजा
तू भी अपनी नाव तीराजा

पानी में सब तैरेंगे
मस्त मजे हम ले लेंगे

रंग-बिरंगी नाव हमारी
दो आने में तीन सवारी

जिसको पार उतरना है
आओ अभी ही चलना है

पानी में सरपट है जाती
नाव हमारी बलखाती

चल पड़ी रे चल पड़ी
नाव हमारी चल पड़ी

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6 MAR 2017 AT 22:17

मैं हँसता-खेलता, खिलखिलाता हूँ
बचपन की यादों में गुदगुदाता हूँ
कागज़ की नावें जो तैर रही हैं
हाँ उन्हें मैं ही बनाता हूँ

मैं रोता-रुलाता, सहम जाता हूँ
कुछ चलकर फ़िर ठहर जाता हूँ
होठों से तेरे जो कोण बन रहे हैं
हाँ उन्हें मैं ही बनाता हूँ

मैं गिरता-उठता, संभल जाता हूँ
उठकर फिर से दौड़ता जाता हूँ
पलकों पे तेरी जो ख़ुशी के आँसू हैं
हाँ उन्हें मैं ही बनाता हूँ

मैं हिलता-डुलता, अकड़ जाता हूँ
तेरी छुअन में अपना जहाँ पाता हूँ
हर रात तू जो मेरे लिए जागती है
हाँ उन्हें मैं ही बनाता हूँ

माँ का आँचल न छोड़ पाता हूँ,
इसलिए ही आज भी माँ का लाल कहलाता हूँ।

- सौRभ

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