QUOTES ON #मेरी_कहानी

#मेरी_कहानी quotes

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3 JUN 2020 AT 15:37

😊 #मेरी कहानी #😊

चल चलकर पथ पर सो सो बार गिरा हूं। मैं ।
हारा नहीं हूं फिर भी उठकर हर बार खड़ा हूं मैं।

दरख़्त हूं मशगूल हूं अपनी ही शाखों पर।
आंधी और तूफानों से कई कई बार लड़ा हूं मैं।

कदम तो डगमगाए थे इक बार को मेरे भी।
पर राहगीरों से हटकर पथ पर हर बार अड़ा हूं मैं।

धोखे और छल के दरिया बनाए थे लोगों ने।
पर डूबने पर खुद का ही तिनका हर बार बना हूं मैं।

अब खुट्टल और पुराना हथियार ना समझो मुझे।
कतरा कतरा टूटकर पैना औजार हुआ हूं मैं।

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2 APR 2019 AT 8:51

मेरी हर मंजिल का रास्ता तूम से है,
मेरी हर धडक़न का वास्ता तुम से है।

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22 DEC 2018 AT 17:32

जिंदगी में अपने भी, सभी, अजनबी निकले,
पर मय्यत पे मेरी, जाने क्युं, सभी निकले,

प्राण निकले तो क्यों, अब सभी की जान निकले,
जब सांस थी, तब तो यह सभी, बेजान निकले....!

निकले थे हजारों खवाईशों के काफिले लेके जिंदगी,
पर नाज जिसपे था वो अब, देह भी, देके निकले,

हैं यह आंसू भी तभी तक, मरघट में,
जब तक जल रहा हूं और जब तक यह धुआँ निकले..!

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4 FEB 2019 AT 21:14

बहुत कुछ रखके, भूल तो जाता हूँ,
पर इसी बहाने से ही सही,
मैं मशगूल, तो हो जाता हूँ.....!

इक गुनाह सा लेके फिरते हैं, तुझे जिंदगी,
सज़ा जीने की यह, हर रोज़,
......कबूल तो जाता हूँ;

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28 JAN 2019 AT 10:32

मेरी कहानी
Part 3
मैं भी अब किशोरी होने लगी थी
हँसी तो खो चुकी थी पर मुस्कुराने लगी थी
सजना सँवरना तो आता ही नहीं था
हाँ बालों को जरा सँवारने लगी थी
बस दिन कट रहे थे जिन्दगी गुजर रही थी
वक्त के पीछे बस मैं भाग रही थी
तभी मन में किसी की मुरत बस गई
आँखों में किसी की सूरत बस गई
क्या नाम उसका ठिकाना कहाँ
मुझे मालूम नहीं था
वो कौन था कैसा था
मुझे मालूम नहीं था
पर दिल में हलचल होने लगी थी
अब रातों को मैं जगने लगी थी
ख्वाबों में मेरे खयालों में
उस अजनबी की अक्स बनने लगी थी
खैर वक्त इतना बुरा भी नहीं है
कुछ लेकर वो कुछ देता भी है
मानती हुँ कि ये रूलाता बहुत है
पर रूलाकर हँसाता भी है...

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25 JAN 2017 AT 2:32

अहसासों की बंदिश में फंस गया,
बन्दा मैं भी उम्दा ही था..
बस इस इन्सानियत में फंस गया।

- साकेत गर्ग

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22 MAR 2017 AT 2:19

इतेफ़ाक से मिलते-मिलते
जाने कब
तुमसे 'वो मुलाक़ात' हो गयी,
मुलाक़ात करते-करते
जाने कब
तुमसे 'वो बात' हो गयी
बात होते-होते
जाने कब
तुम 'मेरे जज़्बात' हो गयी
जज़्बात बनते-बनते
जाने कब
तुम मेरी 'हर रात' हो गयी

अब हर रात भी तुम हो
ख़्वाब-ओ-ख़्यालात भी तुम हो

मेरी सारी ज़िन्दगानी
मेरी रवानी
मेरी कहानी भी तुम हो
- साकेत गर्ग

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13 JAN 2018 AT 22:49

कभी गाती है,कभी गुनगुनाती है
कभी हसती है,कभी हसाती है
कभी बताती है,कभी जताती है
कभी सुनती है,कभी सुनाती है
कभी रोती है,कभी रूलाती है
कभी रूठती है,कभी दाटती है
कभी मानती है,कभी मनाती है
तुम्हारी बहुत सी याद अब भी गिरफ्त मे है
ना दुर कर सकु ना दुर करना चाहु
ना दुर रहे सकु ना दुर रहेना चाहु.....

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ना ख़ुशी की तालाश है ना गमे निजात की आरज़ू ,
मैं खुद से नाराज़ हूँ तेरी बेरुखी के बाद .

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13 JUL 2019 AT 8:23

मैं आदतन अपनी आदतों का शिकार करता हूँ
हाँ! बस यही गुनाह है, जो मैं हर बार करता हूँ

मेरे हौंसलों में जाँ फूँके वो सुबह आती ही नहीं
अब रातों को, मैं अपने हिस्से हक़दार करता हूँ

ये शोख़ियाँ फ़ज़ाओं में दिखावटी रह गई सारी
मैं हिज्र का प्यासा सहराओं को बहार करता हूँ

मेरा यार क्यूँ? तकल्लूफ़ करे मुझ पर मरने की
इसलिये मैं भी सिर्फ़ इक तरफ़ा प्यार करता हूँ

ये लोग ज़माने में ज़माने से होने लगे हैं आख़िर
मजबूरन! मैं भी घर को अपने बाज़ार करता हूँ

ये बवाल मेरे मैंने पाला है इन्हें अपने बच्चों जैसे
कौन हो तुम? जो कहते हो मैं व्यापार करता हूँ

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