मैं अपनी कल्पनाओं में तुमको लिखती हु,,, शब्द-शब्द में तुम्हारा प्यार नजर आए,, यह अहसास तुमको समर्पित करती हूं,,, मेरी हर शायरी में तुम ही तुम नजर आये,, यह अहसास खुद को कराती हु,,,
में रहुँ या ना रहूँ! में रहुँ या ना रहूँ, तेरे आखों से आसुँ टपकाने नहीं दुंगा बादा है मेरा हरपल तेरे यादों में रहुंगा!! कितना भी भुला ने कि कोसिस करले तेरे साथ ही रहुंगा कसम खाई थी मेने, तुम भुल सकते मुझे पर में तेरे साथ रहुंगा!! में रहुँ या ना रहूँ, तुझे हसते हुए, तुझे खिलते हुए रखुंंगा भले ही मुझे जोकर या, भूत बन कर रहे ना पड़े!!
ख़ुद में उलझी सी हूं मैं, सबके लिए सुलझी सी हूं मैं। सबको लगता है मेरे जैसा खुशनसीब नहीं कोई।। तुमने सिर्फ़ मेरी सुलझी बातें देखी है। कभी तो मेरी कहानी में उलझ कर तो देखो। सुलझी कहानी भी मुश्किल लगेगी, कभी हवा की जैसी बहक जाती हूं, कभी फूल की तरह महक जाती हूं, इत्र सी खुशबू बनकर इतराती हूं।। कभी मोम बन पिघल जाती हूं, चिड़ियों की तरह चहकना चाहती हूं, खुले आसमान में उड़ना चाहती हूं।।
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