QUOTES ON #मुद्दे

#मुद्दे quotes

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22 FEB 2021 AT 23:34

पामेला गोस्वामी है बँगाल की अछली बेटी, बुड़बक छी न्यूज़ वाले हेतना भी नहीं पता तुमको। 😂

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15 JUN 2022 AT 13:03

अभिव्यक्ति...!

लेखन... एक द्वंद है अंतर्मन का..
भाव हैं.... जो करते हैं ...
उचित और अनुचित की
पूर्ण व्याख्याएं...!!

समाज में.... रिश्तों में...
प्रेम के इन प्यारे बंधनों में...!!! — % &लेखन तरीका है... सही और ग़लत की
अभिव्यक्ति का
एक सीधा.... सरल सा ...
विचारों का औसत... निचोड़...!

लेखक अभिव्यक्ती देता है समाज के इस संस्थान के
भावों को ...
समाज.... क्या तलाश रहा है रिश्तों में...
कहाँ... और किस ओर जा रहा है...!!
पूर्ण व्यौरा... — % &लेखन.... कितनी बड़ी जिम्मेदारी है न...
अबोध... नव-लेखन के कंधों पर...?

यूँ... पूरे समाज का आईना बनना...
आसान कहाँ ?? — % &
कुछ लोग बहुत खूबसूरती से
प्रेम लिखते हैं...
वे बताते हैं कि प्रेम ही ईश्वर है...
और एकमात्र प्रेम वजह से ही
दुनिया चल रही है!!
यूँ तो, नफ़रतों की आग
सब लील जाने को तत्पर रहती है सदा!!
यूँ भी बहुत खूबसूरत है न... प्रेम लिखना
और प्रेम में होना... 🌺🌺

— % &और कुछ लेखक... ढूंढते हैं कोई मुद्दा..
समाज में फैली अच्छाई यों और बुराईयों का...
उसी के अनुसार पुरज़ोर स्वागत एवं विरोध करते हैं ...

फ़िर भी कभी कभी मैं सोचती हूँ...
अगर लेखक दर्पण है समाज का
तो सब अच्छे हुए न... सब अच्छे हैं...?
फिर वो बुरा क्या है... कौन है...
जो दंगे फसादों मे शामिल होते हैं...
जो ज़हर के बदले जहर...
और नागफ़नियों के बदले नागफनियां बोते हैं...??— % &खैर वो सब पिछने पन्नों की बातें तो मेरे
फ़जूल से दिमाग़ कि खेती थीं
मुझे बताना ये था कि किसी ने मुझे कहा...
"चेतावनी नहीं आपको सलाह दी जाती है
कि आप कैप्शन में...इस तरह से न लिखा करें...
मैंने कहा - मैंने भी आपको सलाह दी थी...
बाक़ी आप जो उचित समझें..."
और उस प्लेटफार्म ने मुझे ब्लाक करना उचित समझा... 😊💕— % &अच्छा... प्रॉब्लम ये नहीं कि उन्होंने क्या
और क्यूं किया...सोचने वाली बात है कि आप एक लेखक
(क्षमा चाहूँगी स्वयं को लेखक कहने पर 😊
क्योंकि अभी बहुत वक्त लगेगा...
पर बाक़ी आप सब तो हैं न... 🌺🌿
— % &और... आप उनको कहते हो कि
हमारे हुकूम की खिलाफ़त नहीं कर सकते...
Arre भई ये तो आजकल की सरकार जैसी तानाशाही हो गई...😊— % &खैर... जो लोग Collab invitations भेजते हैं...
और नहीं करती उस plate फार्म पर या कोई उस प्लेट फार्म पर mention करे और respond न कर पाऊँ तो.. उनसे भी पहले ही माफ़ी चाहूँगी की. उनके नेह का reply न दे सकीं ..क्योंकि मुझे पता ही नहीं चलता... 💕🌺🌿— % &उफ्फ्फ... ज़रा सी बात कहने को ये लेखक कितनी बड़ी भूमिका बनाते हैं... 🙁🙁🙁🙁😁🌿— % &

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23 APR 2017 AT 22:51

👇बिना सर पैर के मुद्दे👇
(poem in the caption)

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17 JAN 2020 AT 10:06

यूं तो मसले, मुद्दे बहुत है लिखने को,
कमबख्त तूलिका को तू भाता ही बहुत है।

ज़िक्र हर बार करूं तेरा ,ये अच्छा नहीं
एक बार कह तो दिया ,तू ही सबसे अजीज है।

हिचकी आने पर महसूस हो जाता है मुझमें,
मैं तेरे ,और तू मेरे कितना करीब है।

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2 JAN 2019 AT 10:29

वो मुद्दों की आग को फैसलों से बुझाना नहीं चाहते,
डर है उन्हें कि फिर फायदे की रोटियाँ कैसे सेकेंगे।

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5 MAR 2022 AT 23:18

ये सोचकर फिजूल और तथ्यहीन
मुद्दों पर नहीं लिखता कभी,
गर हर पत्थर से उलझने लगे नदी
तो समंदर कब पहुँचे!
🙏— % &

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30 APR 2022 AT 10:58

22 22 22 22
गर्मी ने तेज़ी पकड़ी है
अप्रैल गुजरा आई मई है।

किसको समझ में आएगा ये
कोयले की मारा मारी है।

पानी की भी किल्लत झेले
जनता बस बेहाल हुई है।

दोष किसी को दें भी कैसे
सहने की आदत जो पड़ी है।

अच्छे दिन ये ही हैं भैया
चुप्पी सबकी बोल रही है।

टीवी पे चालीसा के संग
तो स्पीकर की बहस छिड़ी है।

असली मुद्दे से भटका कर
खेल सियासत खेल रही है।

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मैं भी "दिल्ली" जाने वाला हूँ
"पीएम" से "गंभीर मुद्दों" पर
"चर्चा" करने के लिए।
"पीएम" बोले तो
"प्यारे मोहन"
😊दोस्त है पुराना😊

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11 JAN 2020 AT 7:15

अखबारों की भी बस तारीखें बदलती हैं,
मुद्दे तो वो ही घिसे पिटे हैं।

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राष्ट्रीय उपलब्धियां
स्थानीय, क्षेत्रीय मुद्दों पर
हावी नहीं हो सकतीं।
उधड़े कपड़ों की तुरपाई
सुई से ही होती है।
तलवार से नहीं।।

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