होगा रोज तेरा इंतज़ार, कभी मिलने तू चली आना,
तड़पेगा दिल तुम बिन, कभी मिलने तू चली आना!
जुदाई का आलम होगा, जब बिछड़ने का ग़म होगा,
बेचैन होगा दिल मेरा तो, कभी मिलने तू चली आना!
जब तेरे शहर का कोई अजनबी, मुझसे टकराएगा तो,
भेज दूँगा संदेसा तुमको, कभी मिलने तू चली आना!
खुशबु सावन की मदमस्त हवा, जब तुम तक आये तो,
बनके महक संग इसके, कभी मिलने तू चली आना!
जब मौसम वीराने हो जाएंगे, यादें धुंधली हो जाएगी,
हो लेंगे फिर से ताज़ा हम, कभी मिलने तू चली आना!
जब उम्र का तकाजा हो जाएगा, स्मृतिलोप होने लगे,
कहानी दोहराने फिर से, कभी मिलने तू चली आना!
ज़िन्दगी का क्या भरोसा, कब क्या होगा, कौन जाने, _राज सोनी
आखरी मुलाकात को तू कभी मिलने तू चली आना!
-