QUOTES ON #बेबसी

#बेबसी quotes

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14 JUL 2021 AT 8:54

क्यों हो तुम ऐसे गुमसुम, जरा तो मुस्कराया करो,
कब तक बेबसी में तुम खुद को क्यूँ जलाया करो!

हंस के बोला करो, बेझिझक मुझे भी बुलाया करो,
ये तेरा ही तो घर है, हक से आया जाया भी करो!

क्यूँ रोज रात को तलाशती हो तुम मुझे ख़्वाबों में,
तसल्ली हो जाएगी तुम्हे रूबरू मिल जाया करो!

रोज लिखता हूँ मैं तुमको कागज़ पर हर्फ़ दर हर्फ़,
बनके मुकम्मल असआर ग़ज़ल बन जाया करो!

गुजर चुके हैं अनगिनत मौसम सावन से पतझड़,
बन के बसंत तुम अब तो, जिंदगी में आया करो!

सुर बेसुर तो हो चुके, लय ताल भी अब खो चुके,
बन के पायल की झंकार, तरन्नुम बन जाया करो!

बस एक आखिरी इल्तिजा है जो तुमको इल्म रहे, _राज सोनी
हूँ मैं दरबदर, "राज" का ठिकाना बन जाया करो!

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25 JUN 2020 AT 8:09

घर से बेघर था क्या करता, दुनिया का डर था क्या करता?
जर्जर कश्ती, टूटे चप्पू, चंचल सागर था, तो क्या करता?

सच कहकर मैं पछताया, खोया आदर था, क्या करता?
ठूंठ कहा सबने मुझको, पतझड़ मौसम था, क्या करता?

खुद से भी तो ना छुप सका, चर्चा घर घर था, क्या करता?
आखिर दिल दे ही बैठा, कसूर दिल का था, क्या करता?

मेरा जीना मेरा मरना, मैं था तुम पर निर्भर, क्या करता?
सारी उम्र पड़ा पछताना, भटका पलभर था, क्या करता?

बादल, बिजली, बरखा, पानी, टूटा छप्पर था, क्या करता?
सब कुछ छोड़ चला आया मैं, रहना दूभर था, क्या करता?

मिलना जुलना तब से था, जाना पहचाना था, क्या करता?
चक्करघिन्नी, लट्टू बन के, खुद को भरमाया क्या करता?

था अकेला, रहा अकेला, दर-दर भटका था, क्या करता? _राज सोनी
थक, लूट, वापस लौटा, घर आखिर घर था क्या करता?

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21 JUN 2020 AT 21:55

जो तुमको मुझसे दूर कर रही है। और शायद तुम्हारी इसी बेबसी के चलते ही हमारी कहानी पूरी होने से पहले अधूरी हो गई है।

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3 JUL 2020 AT 9:16

जो फ़िरता 'ख्यालों' में , दिन रात अक्सर
'कमी' को क्या बख्शु , 'नमी' आँखो को

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13 JUN 2017 AT 19:12

बेबसी

पूछो
उस बच्चे से
फटे पुराने कपड़े पहने कंपकंपाता हुआ ,
कबसे भूख प्यास में ,
गाड़ियों के शीशे थपथपाता हुआ ,
कुछ पाने की आस में ,
कि बेबसी क्या होती है..

पूछो
उस किसान से
तपती धूप में खुद को जलाता हुआ,
अपनी व्यथा बताये वो किसको,
खुदको भूखे पेट सुलाता हुआ,
देश की भूख मिटानी है जिसको ,
कि बेबसी क्या होती है..,

पूछो
उस लड़की से
जो रोज़ हैवानियत की भीड़ से रूबरु होती,
चुपचाप सब सह जाती है ,
अकेले में जाके वो रोती ,
घुंट-घुंट कर रह जाती है ,
कि बेबसी क्या होती है...

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27 MAR 2019 AT 9:21

शोरगुल ये बेबसी का तुम कब तक करोगे!!
आराम दो जुबान को कभी औरों की सुनोगे??

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27 JUN 2017 AT 20:51

बेबस हूं, लाचार हूं
मैं वो अजन्मी संतान हूं
माँ की कोख़ में जब आई थी
खुशियां ढेरो लाई थी
जब पता चला घर वालो को
कोख में लड़की आई है
लिंग परीक्षण से क्योंकि
जांच उन्होंने करवाई है।
सहम गई थी माँ सुनकर
जब कानों में उसके
मुझें गिराने की बात आई थी।
वो कुछ न बोल सकी थी तब
बस दिल मे लिए बैठी थी दर्द
मैं भी जीना चाहती थी,
पहचान बनाना चाहती थी,
माँ बाप के नाम को मैं भी
रोशन करना चाहती थी
पर बेबस, लाचार थी मैं
अपने हक को न लड़ सकती थी
माँ भी मेरी डरी बैठी थी
वो भी कुछ न कर सकती थी
हाँ चाहती तो बचा सकती थी मुझकों
पर अपने भविष्य के कारण
उसने मेरी बली चढ़ाई थी
चाहती थी वो अपना जीवन
और दाव पर मेरी ज़िंदगी लगाई थी।
(Read in caption)
-Naina Arora

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22 JUN 2020 AT 19:29

ये कैसी "दिललगी" है चाहे उसे मगर कह ना सकी है
कि छुप-छुप प्यार करे तुझे... "ये कैसी बेबसी है।"

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3 AUG 2019 AT 22:57

लिखते-लिखते रो पड़ी ।
ये कलम भी मेरी बेबसी ‌।।

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23 JUN 2020 AT 9:38

साथ हो तुम पर पास नहीं
मिलने को अब कोई आस नहीं
चाहता हूँ सिर्फ तुमको बस मैं
और किसी का चेहरा रास नहीं
होना चाहता नहीं कभी दूर तुमसे
क्योंकि ये तो जीते जी खुदखुशी है||

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