घर से बेघर था क्या करता, दुनिया का डर था क्या करता?
जर्जर कश्ती, टूटे चप्पू, चंचल सागर था, तो क्या करता?
सच कहकर मैं पछताया, खोया आदर था, क्या करता?
ठूंठ कहा सबने मुझको, पतझड़ मौसम था, क्या करता?
खुद से भी तो ना छुप सका, चर्चा घर घर था, क्या करता?
आखिर दिल दे ही बैठा, कसूर दिल का था, क्या करता?
मेरा जीना मेरा मरना, मैं था तुम पर निर्भर, क्या करता?
सारी उम्र पड़ा पछताना, भटका पलभर था, क्या करता?
बादल, बिजली, बरखा, पानी, टूटा छप्पर था, क्या करता?
सब कुछ छोड़ चला आया मैं, रहना दूभर था, क्या करता?
मिलना जुलना तब से था, जाना पहचाना था, क्या करता?
चक्करघिन्नी, लट्टू बन के, खुद को भरमाया क्या करता?
था अकेला, रहा अकेला, दर-दर भटका था, क्या करता? _राज सोनी
थक, लूट, वापस लौटा, घर आखिर घर था क्या करता?
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