बेटियाँ
बेटियों को कोख में पलने दो,
पंख फैलाकर आसमान को छूने दो,
मत मारो कोख मे उन्हें,
जिन्दगी जीने दो उन्हें,
कलियों को बाग में खिलने दो,
बेटियों को कोख मे पलने दो।।
बेटे बेटी के फर्क को हटाओ,
समाज से इस सोच को मिटाओ,
बेटियों को सम्मान दर्जा दिलाओ,
दहेज के लिए उन्हें ना जलाओ,
कलियों को बाग मे खिलने दो,
बेटियो कोख में पलने दो।।
मत बाँधों बेटियों को समाज के बंदिशो मे,
मत मारो बेटियों को अपने रंजिशों मे,
मत थोपो बेटियों पर समाज की सोच को,
मत खोपो बेटियों पर छुरा मां की कोख में,
कलियों को बाग मे खिलने दो,
बेटियों को कोख में पलने दो।।
बेटियों को मां की कोख मे मारकर ,
बेटों के लिए मां की कोख कहाँ से लाओगे,
अपनी इस सोच के लिए कब पछताओगे,
बेटियो के अस्तित्व को कब स्वीकारोगे,
कलियों को बाग में खिलने दो,
बेटियों को कोख में पलने दो।।
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