व्यथित मन से कर रही हूं पुकार,
ये कैसा प्रलय झेल रहा है बिहार,
पहले सुखाड़ तत्पश्चात विकराल बाढ़,
मासूमों को छीन गया पहले ही चमकी बुखार,
दंश लू का चला ऐसा,जाने कितनी चली गयी,
रोई बिलखी माँओ की आँचल बस भींग के रह गयी,
कोई न सुना दुखड़ा, उनकी गोद सूनी हो गयी,
इलाज़ के अभाव में बच्चों को बेमौत मौत मिल गयी,
जाने क्या गलती हुई,क्यों कर रहा प्रकृति खिलवाड़,
और नेत्र मूंदे सत्ता पर मौन बैठी है यहां की सरकार,
जनता की कोई सुध नहीं है करती नहीं कोई प्रतिकार,
बच्चे-बूढ़े तड़प रहे हैं,मिल न रहा है उनको आहार,
सुशासन बाबू आत्ममुग्ध हो गए,अब आस ही न किया जाएं,
सोये रहने दे उन्हें,उनके तंद्रा को न भंग न किया जाएं,
बस प्रार्थना अब तुमसे करती हूं भगवन,दुःख मासूमों का सुना जाएँ,
बहुत हो गया इम्तेहान अब कुछ रहम भी तो किया जाएं!🙏
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