बाथरूम के नल का प्रेशर थोड़ा कम है,
बाल्टी भरने में समय लगता है।
आज फिर नहाने बैठा नल चलाया,
बाल्टी में पानी गिरने लगता है।
जब तक ना भरे मन ने सोचा क्या करें,
यही सोच इधर उधर भटकने लगता है।
ऑफिस की टेंशन, मम्मी डैडी की याद,
ये सब सोच सिसकने लगता है।
क्या होगा, किस से पैसे लेने किसको देने,
यही गुणा भाग करने लगता है।
अभी आधी बाल्टी भरी, मन ख्यालों में है,
भविष्य का काँटा सीधे गड़ने लगता है।
आटे दाल का भाव आसमान चढ़ रहा है,
ज़ेब में पैसे सोच दिल धड़कने लगता है।
खट्टा मीठा कड़वा सब मिल जाता है,
मन बेवजह चीज़ों उलझने लगता है।
बाल्टी में पानी भर नहाने को तैयार हूँ,
पानी के साथ सब ख्याल नाली में बहने लगता है।
दिल भर आता है ये सब सोच सोच के,
देर से पानी का भरना खटकने लगता है।
नल सही करा लिया है अब बाथरूम का,
अब नहाने में कम समय लगने लगता है।
बेवजह बातें नही सोचता अब ये मन,
खुद को धोखे में रख मन बहलने लगता है।
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