मैं बाँटा करता था उसके साथ, कमरा, कपड़े, किताबें, और कभी कभी खुद को भी। खुशियाँ दुगुनी हो जाती, और गम आधे। पर एक दिन अचानक, मन बँट गया, और उसके साथ साथ, वो सब कुछ, जो हम बाँटा करते थे, एक दूसरे से।
जो औरतें अपने पति को अपनी सास के साथ नहीं बाँट सकती हैं.. वो इतनी खुदगर्ज़ होती हैं.. कि समय आने पर .. अपने बेटे को भी.. अपनी बहू के साथ नहीं बाँट पाती.. और ज़िंदगी भर ये न चैन से रहती हैं.. न किसी को रहने देती हैं