QUOTES ON #बलात्कार

#बलात्कार quotes

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12 NOV 2017 AT 17:37

वो ज़िस्म का भुखा मोहब्बत के लिबास में मिला था
पहचानती कैसे उसे चेहरे पर चेहरा लगा कर मिला था
❤💕(💕Read full in Caption💕)💕❤
...............वो आखरी वार मुझे बिस्तर पर मिला था

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30 NOV 2019 AT 18:10

नहीं थमती दासतां, जिस्म-औ-रूह ज़ार करने की,
और बाकी है क्या, दरिंदगी की हद पार करने को,

आग फिर उठी हैं, अंगारे दहके हैं आज, चारों तरफ
काट दो उंगलियाँ, जो उठे इज्ज़त तार करने को,

वो बेटी किसकी थी, मत पूछ मुझसे ऐ रहगुज़र
तैयार रह, उन नामुरादों के टुकड़े हज़ार करने को!

आबरू जाने कितनी, हर रोज़ कुचली जाती हैं,
नोंच ले वो गंदी नजरें, उठे जो गंदे वार करने को,

क्यों हो झिझक, क्यों डर बेटियों की आँखों में,
ज़रूरत अब, खुद हाथ अपने हथियार करने को !

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6 AUG 2019 AT 6:54

मच्छर की किस।

(अनुशीर्षक में पढ़े)

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25 JAN 2018 AT 1:22

हाँ बलात्कार हुआ है मेरा

(कहानी उस निर्भया की जो अभी जिंदा है)


(Please read caption)

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22 JUN 2020 AT 21:11

बलात्कार
टूट पड़े हैं उसकी इज्जत पर ,
न जाने कैसे बने इतने बेदर्द ।
घड़े भर गए इनके पापों के ,
कोई तो बनाओ इन्हें नामर्द ।
ए-रे-ए तुझे कौन बोला मर्द...
वो कितना तड़पी - चिल्लाई ,
ग़र इन हैवानों को न हुआ दर्द ।
ए-रे-ए तुझे कौन बोला मर्द...
कुछ मामले सामने आते हैं ,
तो कुछ पर डल जाती गर्द ।
कर्म करते कुछ नीछ जैसा ,
ओड़ बदन पर कपड़ा ज़र्द ।
ए-रे-ए तुझे कौन बोला मर्द...
Read caption

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6 APR 2021 AT 16:51

बलात्कार को 'पाशविक' कहा जाता है, पर यह पशु की तौहीन है, पशु बलात्कार नहीं करते। सुअर तक नहीं करता, मगर आदमी करता है।

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7 SEP 2018 AT 0:19

सोच छोटी नही वो मेरे कपड़ों को छोटा बताते है,

बलात्कार करके वो बलात्कारी नही, तो मुझे चरित्रहीन क्यों बुलाते है।।

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8 APR 2019 AT 22:49

RAPE
सुनसान सड़क देखकर मुझे उठाया गया
झाड़ियों में मुझे ले जाया गया
मेरे बालों को पकड़ कर मुझे घसीटा गया
जानवरों की तरह मुझे पीटा गया
मेरा ही स्कार्फ,मेरे ही मुंह में ठुसा गया
जो दुपट्टा मेरी इज्जत ढकने के लिए था,
उसी से मेरे दोनों हाथों को बांधा गया
मेरे कपड़ों को मेरे जिस्म पर ही फाड़ दिया गया
मेरे जिस्म के हर एक हिस्से को नोच लिया गया
मेरी कलाई मरोड़ कर,मेरी हड्डियों को तोड़ दिया गया
छाती से लेकर नीचे तक,
मेरे जिस्म के हर एक हिस्से को Cigarette से जलाया गया
शराब की बोतल मेरे अंदर घुसाकर
बोतल को अंदर ही फोड़ दिया गया
जिंदा होते हुए भी,मुझे जहन्नम का एहसास दिलाया गया
हर जुल्मों सितम मुझ पर ढाया गया
मेरी आखिरी हद तक मुझे आजमाया गया
मेरे होठों से मेरी मुस्कान को छीन लिया गया
तार-तार कर मेरे जिस्म को,मुझे यूं ही मरता छोड़ दिया गया

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20 JAN 2018 AT 15:18

कोख़ कह मान दिया जो भारी,बस नामी,नंगी हवस तुम्हारी अबोधता की ओट में कतई नहीं..
सुकूँ तो फूल सींचने का तुम्हें मिला था, फ़िर नोचने से तुम काँपे क्यूँ नहीं !!

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24 SEP 2021 AT 13:57

मोहे पुष्प रंगी भाए, मोहे खिलने दो ना इन सा,
क्यों मुरझाई मैं पतझड़ सी? क्यों हाल मेरा ऐसा?

मोहे झाँझरिया ला दो ना, क्यों पाँव मेरा सूना?
क्यों रोके ये दहलीज़े? क्यों दरवज्जे पर साँकलिया?

उस छोर सरोवर के मोहे बुलावे चाँदनी रतियाँ,
क्यों चाँद मैं न देखूँ? क्यों तारों से न हो बतियाँ?

क्यों सब ही नैन चुराए? मैंने क्या की है गलतियाँ?
क्यों क़ैद होकर बैठूंँ? क्यों बहाऊँ मैं ये अँखियाँ?

ये इतनी उदासी क्यों है? है किसकी ये सिसकियाँ?
मोहे मिलने क्यों ना आए? क्यों रूठी बैठी सखियाँ?

हैं वस्त्र मेरे फाड़े, गई लूटी मेरी अस्मिता,
क्या दोष मेरा इसमें? क्यों मुझसे ऐसी घृणा?

क्या जीवन ही ये सारा मैं काटूँगी ले हताशा?
यूँ मुँह न फेरो मुझसे, कुछ ख़्याल करो ज़रा सा?

क्यों पांचाली को बचाने तू आए अब ना कन्हैय्या?
ये जीवन भारी लागे, मोहे डंसती ये पाबंदियाँ।

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