प्रेम के कुछ अधूरे वचन हैं अभी भी,
बिन तेरे निरर्थक मन के मनन हैं अभी भी।
जिनमें तुमसे मुकम्मल प्रणय हो गया,
बाकी नींदो में ऐसे स्वप्न हैं अभी भी।
तुम न रोए बिछड़कर मगर मैं रोता रहा,
पलकें नम थी कल भी पलकें नम हैं अभी भी।
दूर तुम हो गए पूरा होने की खातिर,
कल हम थे अधूरे ,अधूरे हम हैं अभी भी।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)
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