मैं एक दरख़्त हूँ कभी मेरे साये में बैठ कर तो देख मैंने हज़ार बाहें फैला रखी हैं तू भी मुझसे लिपट कर तो देख तूने अपनी बांहों में टैटू बना रखा है मेरे बदन पर भी किसी का नाम गुदवा के तो देख
फिर हमारे पास खामोश रहने के इलावा कोई जवाब नही होगा बस हमारी आँखो से निकले आँसू ही उनके हर सवाल का जवाब होगा ।। कैसे हमने ज़िन्दगी का ज़हर पिया खुद को हमने यूँ बना लिया जैसे पेड़ से गिरे सूखे पत्तों का वजूद ।।