QUOTES ON #पाती

#पाती quotes

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11 SEP 2018 AT 16:42

पिता की पाती, पुत्र के नाम..
(अनुशीर्षक में पढ़ें)


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27 JUN 2020 AT 18:31

न जाने क्या हुआ एक अरसे से उनका पैगाम नहीं आया !
ऐ पाती वाले क्या सच में कोई खत मेरे नाम नहीं आया !

दुआ भी की मन्नत भी की काश पहुंच जाए एहसास,
सब तदबीर करके देख लिया कुछ काम नहीं आया !

तलाश में उनकी बस ख्वाब दर ख्वाब बहता रहा हूँ,
जहां राहें मिल सके ऐसा कोई मक़ाम नहीं आया !

ये प्रेम ये संगीत उनके बिना अधूरा ही लगता है,
जब से साथ छूटा है धड़कनों में कयाम नहीं आया !

कैसे यकीं दिलाऊं खुद को बहुत मुश्किल है 'कवित'
कि खुशबू उनके शहर की लेकर कोई पयाम नहीं आया !

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7 OCT 2017 AT 12:58

"ग़ुलाबी कागज़"

सुनो!

तुम्हें याद है वो शब वो सहर जब हम दोनों मिला करते थे? कभी इक़रार कभी तक़रार किया करते थे। तुम हर बार हर मुलाकात मेरी जेबें टटोलती थी। न-जाने तुम उनमें क्या खोजती थी।
मैं चिढ़ सा जाता था, तुम्हारी मंशा जो न समझ पाता था।
कुछ गलत कभी होता नहीं था मेरी जेबों में, पर फ़िर भी इस फ्रिस्किंग से उकताता था...

(पूरा ख़त कैप्शन में पढ़े)

- साकेत गर्ग 'सागा'

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20 DEC 2018 AT 21:51

बादलों के कारवाँ संग भेजा, कभी तारों की टोकरी में रखा है
शिकवे बहानों मुस्कानों से मैंने इक ख़त तुझे रोज़ लिखा है

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26 JUN 2017 AT 10:11

सखा........

मैं धीर धरा सी थी
तुम विस्तृत नभ थे
प्रेम तुम्हारा अकिंचन
अग्नि सा ये भाव मेरा
जल सा जलजल ये परिधि
पवन सा ये व्यक्तित्व तुम्हारा
कैसे तोडूं अपने भीष्म वंचना को
सखा लो आज लिख दी एक पाती मैंने
पंचतत्वों को मैंने दी विदाई एक कागज़ में लपेटकर

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28 FEB 2021 AT 22:19

'पाती पिया की अपनी प्रिया को'
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कितनी आसानी से-

कह जाती हो तुम स्त्रियाँ!

कि कितना कुछ सहती हो,

सीमाओं में बंध जाती हो।

(सम्पूर्ण सृजन अनुशीर्षक में)

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3 FEB 2017 AT 21:32

तुम,

कैसी हो? अच्छी ही होंगी, मुझसे दूर जो हो।
'तुम' से इस पाती को शुरू करने के लिये माफ़ी चाहता हूँ, समझ नहीं आया कि क्या लिखूँ तुम्हारे लिये.. प्रिये बोलने का हक़ मुझे रहा नहीं, नाम लेकर बदनाम कर दूँ, इतना अभी गिरा नहीं।
आज तुम्हारी गली से गुज़र रहा था। तुम्हारा घर दिखा, वहां खड़ी तुम्हारी परछाई भी दिख गयी। बहुत कमज़ोर लगी तुम्हारी परछाई और कुछ उदास भी..................

(पूरी पाती/चिट्ठी कैप्शन में पढ़ें, असुविधा के लिए खेद है)

- साकेत गर्ग

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2 FEB 2017 AT 18:55

प्रिय 'तुम'

आज मैं तुम्हें यह 'प्रेम की पाती' लिख रही हूँ।
मैं जानती हूँ, तुम्हारे लिए यह पाती पढ़ना उतना ही उत्सुकता भरा होगा, जितना की मेरा लिखना।
मैं जानती हूँ, मेरे पत्र के शब्दों को तुम आत्मसात कर, करोगे मेरा आभास। तुम्हारी आँखों के आगे दिखूंगी नाचती सी मैं पहले की ही तरह।
इसी पाती में मिलेगी तुम्हें मेरी चिर परिचित महक,
अभी हम साथ नहीं हैं पर मेरे शब्दों के रेखाचित्र से तुम जान लोगे मेरा हाल।

मेरे प्रेम के ये अक्षर तुम्हें आज़ाद रखेंगे हमेशा पर मैं बंधी रहूंगी चिर काल तक तुम्हारे साथ।

तुम्हारी
'मैं'

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दिल को रौशन रखना साथी,
जलती रहे आशा की बाती.!

मन में ख़ुशी के रंग सजा लो,
कांटों के भी संग निभा लो,
ख़िलते फूलों की ये पाती..!
जलती रहे...

जीवन में आवेश गहन है,
पीड़ा का संदेश सृजन है,
दुःख की घड़ियां ये समझाती!
जलती रहे...

सीप में ज्यों पलता है मोती,
दीप जले तो होगी ज्योति,
रात ढले तो सुबह है लाती.!
जलती रहे...

सिद्धार्थ मिश्र




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24 MAR 2017 AT 21:48

मेरी प्यारी नानी मम्मी,

आज आपकी एक पुरानी फोटो देखा तो लगा कि आप बोल उठेंगी अभी और कहेंगी , प्रासू (ननिहाल में मेरा नाम) खाना खाते समय पूरा ध्यान खाने पर होना चाहिए नहीं तो खाना शरीर को नहीं लगता। आज भी मैं आपको अपने पास महसूस कर सकता हूँ,ऐसा नहीं लगता कि आप हमारे बीच नहीं हैं। बस ये लगता है कि अभी आप आकर दुलराते हुए माथा चूमकर कहेंगी क्यों परेशान होते हो मैं तो कुछ दिनों के लिए पहाड़पुर (नानी का गाँव) घूमने गयी थी । आपके हृदय में स्नेह का समंदर था आप बांटती रहीं, पर उसका एक बूंद भी कम नहीं हुआ। जिससे स्नेह फिर अपार स्नेह , जिससे रुठ गयीं फिर मनाना अशक्य। आपके जाने से जो स्थान रिक्त हुआ उसे भर पाना अब सम्भव नहीं। हमेशा सोचा कि आंसू भी कहीं सूख सकते हैं पर आप एक प्रत्यक्ष उदाहरण रहीं, आप अपनी बीमारी की वज़ह से कभी अपना दर्द आँसू के संग बयाँ न कर पायी । आपके ऑपरेश के समय जब आपसे मुलाकात हुई तो आप चाहकर भी रो न सकी। कुदरत का खेल भी निराला है जब आपका बोलना बन्द हुआ तो उसने आपको अपना दर्द बयां करने के लिए आंसू भी दे दिए। आपके चेहरे की अमिट मुस्कान एक ऊर्जा थी ,जाते समय भी आपका चेहरा जीवंत ही रहा निस्तेज न हुआ।
लोग मुझे पत्थर दिल समझते हैं पर उन्हें इस बात का भान नहीं उस पत्थर पर आपके स्नेह का जो नाम लिखा है वो अंत समय तक मिटाया नहीं जा सकता।

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