QUOTES ON #पहर

#पहर quotes

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12 JUN 2019 AT 20:35

तुमसे दूर रह कर तुम्हारे करीब रहना आता है
मुझे खुशी से जीना आता है।।
मै समन्दर की वो लहर हूँ जो हवा के साथ अपना
रुख बदल लेते है.......
मैं वो रंग हूँ जो बेरंग ज़िन्दगी में भी रंग घोल देते है
मुझे संजीदगी से ज़िन्दगी को जीना आता है
मैं परिन्दों का वो आशियाना हूँ जहाँ सुकून का
काफिला ठहरता है......
वाकिफ हूँ मैं ज़िन्दगी के हर मोड़ से जहाँ ज़िन्दगी
का हर पहर बदलता है
मुझे ज़िन्दगी का हर मुकाम हासिल करना आता है
मुझे ज़िन्दगी को जीना आता है.....

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25 MAY 2017 AT 17:15

काली सी रात के इस पहर में,
देखा खुद को जब आईने में,
ना दिखा कुछ भी ऐसा,
बनना था मुझको जैसा,
सारे सपने अपने दफ़ना कर,
छोड़ कर मैं अपना दर,
चली आई अपने इस घर,
अपनी ही पहचान भुला कर।

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11 MAR 2021 AT 14:30

नशीली नज़र ने कहर कर दिया है
दिनों से भी लम्बा पहर कर दिया है

मोहब्बत तुम्हारी मेरी ही रहेगी
मेरी ज़िन्दगी में सहर कर दिया है

तुझे देखकर ही मिली है ख़ुशी भी
रुकी ज़िन्दगी को लहर कर दिया है

तसल्ली हुई तुझसे मिलकर मुझे कुछ
वफ़ा को नदी से नहर कर दिया है

छुपाकर मोहब्बत को 'आरिफ़' ने उससे
ख़ुशी को भी उसकी ज़हर कर दिया है

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15 MAY 2018 AT 7:25

वो जिंदगी का कहर था,
जब पहली दफा मोहब्बत का पहर था...

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1 JUN 2017 AT 21:47

वक्त भी कितना बदल गया है....
अब वह 'गुजारना'नहीं,'निकालना' पडता हैं...

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24 JUL 2019 AT 10:03

तेरे लिए तड़पे हर पहर से प्यार हो चला है
रातें काली रहीं मुझे सहर से प्यार हो चला है

घूमता रहा हर गली हर सड़क तेरे पीछे मैं
तू तो ना मिली तेरे शहर से प्यार हो चला है।

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31 MAY 2017 AT 11:42

कुछ यूँ गुज़र जाता है दिन का हर पहर,
जैसे सफर में गुज़रता हर अजनबी शहर,

बस मुक़ाम के इंतज़ार में कटती हैं सांसें अब,
जैसे रास्ता नापते हैं मिलकर घड़ी के कांटे सब।

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10 JAN 2018 AT 9:59

तुमसे ही तबस्सुम मेरे चेहरे की
तुमसे ही तसव्वुर-ए-शामो-सहर

जो मिल जाएँ यह नज़रें तुम से
जी उठे महक उठे मेरा हर पहर

- साकेत गर्ग

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10 JAN 2019 AT 11:42

आज फिर खूबसूरत सी सुबह ढूंढते हैं
कल तुझको देखा था हंसते हुए
काश दिख जाए फिर वो नजर ढूंढते हैं,

हमें हरगिज परेशां नहीं करता
तेरा गैरों की तरह मिलना
जहां लोग अजनबी हों वो शहर ढूंढते हैं,

कहते सुना था बुजुर्गों को इक दिन
कि चार दिन है बस जिंदगी
ये संवर जाए तुझसे वो पहर ढूंढते हैं !

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19 JUN 2018 AT 22:52

मिन्नतों के बाद आया ये पहर है,
मुद्दतों बाद आया तेरा शहर है ।

कि शब हुई बहुत हैं बगैर तेरे,
संग वक़्त बाद हुई ये सहर है ।

रास्तों में खिड़कियाँ ताकी बहुत हैं,
तुम्हारे दर तक किया सफर है ।

तेरे नैना देखे बगैर न नींद आती है,
मुस्कान ये तेरी मुझ पर महर है ।

कोई हाथ न पकड़ा पराया कभी,
छुअन तेरी मेरी रग़ों में लहर है ।

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