QUOTES ON #पर्दे

#पर्दे quotes

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27 DEC 2018 AT 9:23

पर्दे में छुप के हया बोलती है
जुबां नहीं आंखों से बात कहने दे,

ना खोल अपनी बाहें आसमां की तरह
मुझे धीमे-धीमे ही आज बहने दे,

इकरार मेरा दिल भी जानता है मगर
लफ्ज कुछ अनकहे ही रहने दे,

दर्द दूरियों का खूबसूरत नहीं होता
कुछ तो इस नाचीज़ को भी सहने दे,

ना पंख दे मेरे अरमानों को आज
मैं मिट्टी हूंँ मुझे जमीन पर ही रहने दे !

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31 JUL 2019 AT 20:54

लोग कुछ होते हैं, कुछ और दिखा कर चलते हैं !
पर्दों के पीछे चेहरों के सारे किरदार बदलते हैं !!!

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26 SEP 2020 AT 18:28

** Stop playing someone's life in the. name of love**
अगर मोहब्बत नही हैं उससे तो इन्कार कर दो न,
वो तुम्हे ज़िन्दगी समझ रहा हैं,
तुम उसे ज़िन्दा लाश कर दे रहे हो न,
ये तुम्हारी हवस, चंद लम्हे
इन सबसे अनमोल है उसकी ज़िन्दगी ।
वो तुम्हे अपना जीवनसाथी बनाना चाहता है ,
एक तुम हो बस कुछ पल बिताना चाहते हो,
माना वो तुम्हारे लिए कुछ नही है ,
पर अपने परिवार का चाँद वो हैं ,
उसे तारो से अलग मत करो न,
झूठी मोहब्बत का दिखावा करो,
पर उसके लिये अपने जैसा चूनो न,
वो सच्चा है, न समझ है ,
उसे इस कैद से आज़ाद कर दो न,
जब ज़िन्दगी के दो राहे पे ले जाके
उसका हाथ छोड़ोगे,
फिर वो न चीख पायेगा, न चिल्ला पायेगा,
बस खमोश हो जायेगा,
भले ही वो ज़िन्दगी मे खुश न रहे,
पर जब-जब उसकी अंतरआत्मा चीखेगी तुम्हारा सब कुछ बरबाद हो जायेगा,
प्यार मजाक नही हैं,
ये झूठे वादे और कसमे सब खाओ,
पर अपने जैसा चूनो न,
ये ज़िन्दगी तुम्हारी हैं तुम आज़ाद हो,
पर किसी और की ज़िन्दगी से खेलना बन्द करो न।

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23 NOV 2019 AT 18:05

नज़रें नक़ाब में रखकर क्या छुपा रहे हो
पहले कहाँ थी शर्म जो अब घबरा रहे हो
पर्दे के पीछे कौन कैसा किसको पता
सरेआम तुम हमें टोपी पहना रहे हो

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23 OCT 2020 AT 20:47

नज़रें नक़ाब में रखकर क्या छुपा रहे हो
पहले कहाँ थी शर्म जो अब घबरा रहे हो
पर्दे के पीछे कौन कैसा किसको पता
सर-ए-आम ज़ानी तुम टोपी पहना रहे हो

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5 MAR 2019 AT 1:58

मिट्टी का दिल था, पत्थर पड़े, राज़ दफ़न हो गए।
वफ़ा का कर्ज़ था, पर्दे उठे, राज़ कफ़न हो गए।

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5 APR 2021 AT 9:44

एक जानिब से दहक गया कोयला रंग लाल होगा
बेनाम वक़्त आने दे पर्दे के आगे सब कमाल होगा

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7 DEC 2019 AT 15:47

प्यार का इतना ढिंढोरा भी मत पीटो
जग्-जाहिर प्यार तेरा मुहब्बत बदनाम कर दे..!

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4 MAY 2018 AT 19:12

।। पर्दे ।।

कभी बाहर से आती हुई धूप को रोकते हैं,
कभी कमरों के बीच मध्यस्थ का काम करते है,
कभी शोभा बढ़ाते है ये दीवारों की चमक से,
कभी किसी की इज़्ज़त को बचा कर नाम करते हैं!!


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4 MAY 2020 AT 11:19

कुदरत ने अब पर्दे उठाए हैं क्या क्या
वाकई हमने गुनाह किए हैं क्या क्या

ज़रा से सयाने हो गए जब से यहां
लोगों की नजरों में डगमगाए हैं क्या क्या

ए ख़ुदा!इतने रो देते है आए दिन रात
पूरे कर देना कि ख्वाब सजाए हैं क्या क्या

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