परिणाम
हमारा जीवन नित्य निरंतर कर्म एवं उसके परिणाम से जुड़ा हुआ है। एक विद्यार्थी पढ़ाई में परिश्रम करता है एक अच्छे परिणाम के लिये, एक कृषक अपने खेतों में कड़ी मेहनत करता है ताकि उसकी फ़सल अच्छी हो। इसी तरह हर व्यक्ति अपने अपने क्षेत्र में परिश्रम एवं लगन से कार्य करते हुये एक अच्छे परिणाम की अपेक्षा रखता है। हमारे पुराण में कह गया है कि कर्म प्रधान बिश्व करि राखा..। इसका तात्पर्य यह है की कर्म ही सबसे सर्वोपरि है।यह भी कहा गया है कि हमें केवल हमारे कर्म पर अधिकार है परंतु परिणाम पर नहीं। हम प्राणी अच्छे परिणाम की कामना तो कर सकते हैं परंतु परिणाम हमारे हाथ नहीं होता। एक परीक्षार्थी की परीक्षा का परिणाम परीक्षक के हाथ होता है। एक कृषक के मेहनत का परिणाम क़ुदरत के हाथों होता है इत्यादि।
इस लिये हमें मेहनत और लगन से अपना कर्म करना चाहिये, परिणाम की चिंता छोड़ कर। ऐसा देखा गया है कि उत्तम कर्म का परिणाम उत्तम ही होता है, यह सोच कर हमें केवल अपने कर्म पर ही ध्यान देना चाहिये।
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