दर्द से कहो मुझे अब रुलाया ना करे
मिल नहीं सकता वो तड़पाया ना करे
सिसक रहा है मेरा दिल कतरा कतरा
अब उसकी और याद दिलाया ना करे
एक बेदर्द उम्मीद थी उस से मिलने की
दोबारा उसकी आस अब लगाया ना करे
जिसने बेवजह दिल से निकाल दिया मुझे
उसको अब अपनी साँसों में बसाया ना करे
वो चाँद किसी और आसमान का हो चला
उसकी चाँदनी में अब और नहाया ना करे
पहले से पता था वो किसी और की खुश़बू है
अब उसे कोई मेरी गली में महकाया ना करे
तू तो एक मुसाफ़िर है रहगुज़र का "आरिफ़"
उसे कहो मेरे रास्तों पे ख़ुद को चलाया ना करे
"कोरे काग़ज़" और बहुत से काम आ जायेंगे
याद में उसकी अपने अल्फाज़ बहाया ना करे
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