बदलते वक्त का असर कुछ यूँ हुँआ पक्के रास्तों को छोड़कर पगदन्डीयों पे चलना सिख गये जो फिरते थे बेकार शहर की गलीयो में काम के रास्तों पर चलना सिख गये बेकार बैठा करते थे चौपलो में अब मेहफिलों में जाना सिख गये ना जाने वक्त कैसे बदला जो हंसते हंसाते रहते हैं वो समझदारी के किस्सें सुनाने लगे बदलते वक्त में कुछ लोग अनजाने से नज़र आने लगे
देकर इम्तिहां हम अपने अपनी अपनी मंज़िल को चले ए दोस्त तुम शायद पूर्व चले शायद हम पश्चिम चले तुम शायद उत्तर चलो हम शायद दक्षिण चले तुम हमें भूल जाओ शायद हम तुम्हे भूल चले Whatsappपर हो बात जरूर पर शायद न फिर घुले मिले शायद तुम्हे मुझसे भी अच्छे दोस्त मिले और मुझे न फिर कोई दोस्त मिले तुम्हे शायद मेरे जैसा पकाऊ न मिले standard और hifi मिले तुम्हे इस कॉलेज से भी अच्छा कॉलेज मिले शायद मुझे वो भी न मिले तुम मुझसे भी आगे बढ़ो शायद फिर न कभी मिलो शायद में पीछे रह जाऊ पर तुम आगे आगे चलो अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ो शायद मुझे भुलाते चलो पर याद करना ए दोस्त जब भी time मिले में फिर आऊंगा तुम्हे हँसाके थोड़ा गुदगुदा के वापिस में चला जाऊंगा... Rest in caption
ना !! हद ना बांध अब बेहद ही हम अच्छे है साफ़ दिल जज़्बात हमारे सच्चे है.. झूठ हमें भी बर्दाश्त नहीं वादों के बड़े हम पक्के है प्यार है तुझसे.. और वो भी बहुत दिल से निकले है अल्फ़ाज़ हर अल्फ़ाज़ हमारे सच्चे है #Hasinehsas 091120