QUOTES ON #नाख़ून

#नाख़ून quotes

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26 JUL 2017 AT 0:38

नाखूनों को इतनी बरक़त बख्शनी थी ऐ खुदा,

चमड़ी के नकाबों को भी हम आसानी से खुरच पाते!

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2 APR 2019 AT 11:11

नाख़ून से कुरेद कर ज़मीन नहीं बोई जाती
कोख़ तक उतर जाये वही दर्द जन्म देता है

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8 JUN 2017 AT 20:33

हर राह पर, हर चौराहे पर,
गिरता पल्लू संभालती हूँ,
नाख़ून की खरोच से बचने को,
नज़रो को नीचे कर चलती हूँ,
पापा आपके राज में,
अबला बन जाती हूँ!

भीड़ में चलने से घबराती हूँ,
गैरों के हाथ वक्ष दबोचते पाती हूँ,
दूजे की बदसूरती छुपाने को,
अंदरूनी खूबसूरती कैद करती हूँ,
पापा आपके राज में,
अबला बन जाती हूँ!

आँखें हैवानियत से कपड़े उतारती है,
उनकी बातें दिल घबरा जाती है,
खुद को खूबसूरती से सँवारती हूँ,
उसको खुद ढंक बाहर जाती हूँ,
पापा आपके राज में,
अबला बन जाती हूँ!

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21 MAR 2017 AT 7:45

ये नाख़ून भी बड़े रहस्यमयी है
अलग रूप में जब इन्हें गड़ाते हैं।

जी करता है सब रिश्ते नाते तोड़ लूं
बेमन जब वो इसे चुभाते हैं।

पर प्रेम में जब पीठ तक नोंच डालें
फिर भी मखमली बन हमे लुभाते हैं।

रहस्यमयी नाख़ून नही हम ही हैं मतलबी
सुख मिलने पे जो खुद ही बदल जाते हैं।

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9 FEB 2017 AT 1:19

जब तू पास मेरे आती है,
धड़कन तेज़ हो जाती है,

कान को होंठो से छू जाती है,
रूह तक सिहर जाती है,

साँसों से सांसें टकराती है,
कई अरमान जगाती है,

नाखून जब गड़ाती है,
सिसक निकल जाती है,

बाँहों में भर जाती है,
तपिश सी जगाती है,

पीठ पे नाम बनाती है,
जब उँगली भगाती है,

उंगलियां जब चबाती है,
सुरूर सा बनाती है,

सुर्ख होंठ टकराती है,
बहुत कुछ कर जाती है,

दुनिया भूल जाती जाती,
प्यार जब निभाती है,

बदहवास खो जाती है,
गले से जब लगाती है,

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10 AUG 2017 AT 0:45

बढ़े हुए हैं नाख़ून मेरे इन दिनों,
ज़ख्म अपने ख़ुद से ही कुरेद लेता हूँ मैं।

पूछता है जब कोई मुझसे मेरे बारे में तो,
कहता हूँ रोता मुफ्त में हँसने के पैसे लेता हूँ मैं।

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28 JUL 2017 AT 23:56

जैसे नाख़ून काटने पर फिरसे आ जाते है।
वैसे ही कुछ लोग भूलकर भुलाये नही जाते।

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7 JUN 2020 AT 19:46

ये है पर इनकी औकात नहीं कुछ
ना जाने क्यों होते है ये नाख़ून
बढ़ते जाते बिना रोक टोक के
और खुद को चुभने लगते ये नाख़ून
कोई निकम्मा जब मरता है
फिर भी पूछा जाता है
कट जाए नाख़ून फिर भी
ऐसे फेंके जाता है
पंछी ना खाले कोई इनको
ये एक चिंता रहती है
इतना नाकारा और कोई क्या
जिस पर ना कोई कविता रहती है
कान सुनता है मेरा आँखे देखा करती है
हर हिस्सा कुछ ना कुछ तो करता है
सुन ओ बेशरम नाख़ून बता मुझे तू
बढ़ने के अलावा क्या क्या करता है

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16 MAY 2017 AT 10:56

किसी दीवार पर ,
नाखूनों की खरोंच ,
सी तेरी यादें,
दीवार भी बदरंग ,
और नाख़ून भी जख़्मी ......

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