मेरी प्यारी नानी मम्मी,
आज आपकी एक पुरानी फोटो देखा तो लगा कि आप बोल उठेंगी अभी और कहेंगी , प्रासू (ननिहाल में मेरा नाम) खाना खाते समय पूरा ध्यान खाने पर होना चाहिए नहीं तो खाना शरीर को नहीं लगता। आज भी मैं आपको अपने पास महसूस कर सकता हूँ,ऐसा नहीं लगता कि आप हमारे बीच नहीं हैं। बस ये लगता है कि अभी आप आकर दुलराते हुए माथा चूमकर कहेंगी क्यों परेशान होते हो मैं तो कुछ दिनों के लिए पहाड़पुर (नानी का गाँव) घूमने गयी थी । आपके हृदय में स्नेह का समंदर था आप बांटती रहीं, पर उसका एक बूंद भी कम नहीं हुआ। जिससे स्नेह फिर अपार स्नेह , जिससे रुठ गयीं फिर मनाना अशक्य। आपके जाने से जो स्थान रिक्त हुआ उसे भर पाना अब सम्भव नहीं। हमेशा सोचा कि आंसू भी कहीं सूख सकते हैं पर आप एक प्रत्यक्ष उदाहरण रहीं, आप अपनी बीमारी की वज़ह से कभी अपना दर्द आँसू के संग बयाँ न कर पायी । आपके ऑपरेश के समय जब आपसे मुलाकात हुई तो आप चाहकर भी रो न सकी। कुदरत का खेल भी निराला है जब आपका बोलना बन्द हुआ तो उसने आपको अपना दर्द बयां करने के लिए आंसू भी दे दिए। आपके चेहरे की अमिट मुस्कान एक ऊर्जा थी ,जाते समय भी आपका चेहरा जीवंत ही रहा निस्तेज न हुआ।
लोग मुझे पत्थर दिल समझते हैं पर उन्हें इस बात का भान नहीं उस पत्थर पर आपके स्नेह का जो नाम लिखा है वो अंत समय तक मिटाया नहीं जा सकता।
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