QUOTES ON #नानी

#नानी quotes

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20 JUN 2020 AT 18:46

[wan•der•lust] /n./
सफ़र का अनुराग
भाग-६

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13 MAR 2020 AT 13:11

नारी सदैव ही समाज को साथ लेकर क्यों चले?
वह स्वेच्छा से यदि कोई उचित कार्य भी करती है
तो भी समाज सदैव क्यों उसपर उंगली उठाता है?

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4 MAR 2021 AT 7:14

जीवन के गर्म ठंडे अनुभवों से आहत
अंतिम पड़ाव में मौत मांगता है.....

एक मरा हुआ मानव 😑

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4 JAN 2018 AT 17:06

बचपन नानी की कहानियाँ सुन कर गुजरा है,
बुढ़ापा नानी की कहानियाँ सुना कर गुजारेंगे ।

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14 JUN 2020 AT 6:59

आदत जो थी मेरी, मैं ✍️✨पुरानी गली✨✍️
सुनसान उस सड़क पर
अक्सर रात को ही कभी
फिरने जाया करता था। ...✍️✨..(१.१)

कमबख्त! दिन में यह
जाम सरेआम नज़र जो
आता था तो कुछ कदम मैं
रात में हो आया करता था। ...✍️✨..(१.२)

कुछ यादें जुड़ी थीं इस
जगह से जो मुझे बहुत
याद आती थीं कुछ दिनों
से तो आदत बन गई थी। ...✍️✨..(२.१)

वैसे मेरे इस आदत की
खबर केवल मुझ तक
ही सीमित थी पर गलियाँ
अब शहादत बन गई थीं। ...✍️✨..(२.२)

अजीबोगरीब इस नगरी
में वह गली हमें याद आती
ही रहेगी सर्वदा कि यूँ भूल
जाना उसे आसान न होगा। ...✍️✨..(३.१)

एक मकान की चारदीवारी
में दफन, मेरे नाना नानी
का प्यार जो बयां कर दे
ऐसा कोई जुबान न होगा। ...✍️✨..(३.२)

अफसोस है बड़ा कि कुछ
यादें मिटाने ही मैंनें छोड़ी
वह जगह पर कसम है वह
घर यूँ कभी वीरान न होगा। ...✍️✨..(४) ...(✍️काल्पनिक रचना)

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27 SEP 2020 AT 17:21

जीवन को साकार बना दे
उस 'अभिराम' सी "बेटी" है।
आधे वाक्य को सार्थक कर दे,
उस 'पूर्णविराम' सी "बेटी" है।

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15 OCT 2020 AT 14:06

क़दह से उठाकर निवाला जब नानी खिलाती थी,
उनकी आँखों में इतना प्यार देखकर मेरी आँखें भर आती थी।

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4 OCT 2020 AT 19:33

✍️"गुज़रते लम्हें, बीती यादें "

गुज़रता लम्हा बेहतरीन यादें लिए न जाने किस मंज़िल को
पाने की चाहत में मुसलसल, तीव्रतम बस जाए जा रहा है।

उमर दिनों दिन घट रही हमारी, यह जग लिए हुए अनगिनत
बिमारी, लड़ाई जारी रख साहस भरे राह दिखाए जा रहा है।

यादें सहेजने हमने कई साधनों से रिश्ते बनाए जो आखिरकार
हमारे गुजरने पर लोगों को हमारी छवि नजरों में लाने लगे हैं।

बीती यादों में डुबकी लगा, बड़ा अच्छा महसूस होता है तो याद आ
जाती है बचपन जो सुना जाती है किस्से तो गुजरे याद आने लगे हैं।

यूँ तो वे अब ज़िंदा रहे नहीं पर उनके साथ बिताए बचपन की यादें
उनके चेहरे सामने पटक जाते हैं कभी कभी, वो मेरे अपने जो थे।

माँ पिता के अतिरिक्त जिन्होंने मुझे बचपन में तराशा भी तो वह थे
दो मेरे "नाना नानी "; मुझे पैरों पर खड़े देखना उनके सपने जो थे।

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14 DEC 2020 AT 7:43

नाना नानी का घर था आज मामा मामी का हो गया
कभी शान से जाते थे अपना घर समझ कर आज टुकड़ो में बट गया

कभी बचपन में छुटिया बिताते थे नाना नानी के घर
आज मामा मामी का घर होते ही पराया हो गया

कभी बेसब्ररी से इंतिजार करते थे स्कूल की छुटियो का
मामा मामी का घर होते ही वो घर हमारा नही रह गया

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24 MAR 2017 AT 21:48

मेरी प्यारी नानी मम्मी,

आज आपकी एक पुरानी फोटो देखा तो लगा कि आप बोल उठेंगी अभी और कहेंगी , प्रासू (ननिहाल में मेरा नाम) खाना खाते समय पूरा ध्यान खाने पर होना चाहिए नहीं तो खाना शरीर को नहीं लगता। आज भी मैं आपको अपने पास महसूस कर सकता हूँ,ऐसा नहीं लगता कि आप हमारे बीच नहीं हैं। बस ये लगता है कि अभी आप आकर दुलराते हुए माथा चूमकर कहेंगी क्यों परेशान होते हो मैं तो कुछ दिनों के लिए पहाड़पुर (नानी का गाँव) घूमने गयी थी । आपके हृदय में स्नेह का समंदर था आप बांटती रहीं, पर उसका एक बूंद भी कम नहीं हुआ। जिससे स्नेह फिर अपार स्नेह , जिससे रुठ गयीं फिर मनाना अशक्य। आपके जाने से जो स्थान रिक्त हुआ उसे भर पाना अब सम्भव नहीं। हमेशा सोचा कि आंसू भी कहीं सूख सकते हैं पर आप एक प्रत्यक्ष उदाहरण रहीं, आप अपनी बीमारी की वज़ह से कभी अपना दर्द आँसू के संग बयाँ न कर पायी । आपके ऑपरेश के समय जब आपसे मुलाकात हुई तो आप चाहकर भी रो न सकी। कुदरत का खेल भी निराला है जब आपका बोलना बन्द हुआ तो उसने आपको अपना दर्द बयां करने के लिए आंसू भी दे दिए। आपके चेहरे की अमिट मुस्कान एक ऊर्जा थी ,जाते समय भी आपका चेहरा जीवंत ही रहा निस्तेज न हुआ।
लोग मुझे पत्थर दिल समझते हैं पर उन्हें इस बात का भान नहीं उस पत्थर पर आपके स्नेह का जो नाम लिखा है वो अंत समय तक मिटाया नहीं जा सकता।

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