है आरजु गर, जी भर के देख लो मुझे।
कल दिखूँ न दिखूँ, उसका क्या पता।।
खिला हुआ गुल हूँ मैं, सज़ा लो मुझे।
कल खिलूँ न खिलूँ, उसका क्या पता।।
लगे है घाव कई, डालो नमक थोड़ा।
कल चीखूं न चीखूं, उसका क्या पता।।
खुदाबख़्स नज़ाकत हूँ मैं, जिंदा हूँ।
कल रहूँ ना रहूँ, उसका क्या पता।।
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