पलों के चादर में लिपटकर ,
ये साल भी कहीं गुज़र गया ..
लम्हा भी तज़ुर्बा लिए,
बीते वक़्त के पन्नो में जम गया….
कस्मे टूटीं,गुरूर टुटा,
गुज़रे साल में सबक सीखा….
इरादे ने जिद्द की,फिर से किया वादा,
दस्तक देता नया साल अब भी हँसता रहा!
फिर मेरे वसूल ने मुझसे पूछा…
क्यों है परेशां,किस सोंच में है डूबा?
जा जिंदगी से कह दे,थोड़ा ठहरे दो घड़ी,
जल्दी क्या है,मौत तो वहीँ है खड़ी…
समय नहीं रुकता किसी के रोके,तू भी मत रुक,
ये वक़्त है तेरा,इसे बदलना है जरूरी….
जा समेट ला जिंदगी,न कर इंतज़ार,
मत कर बहाने तू सौ-हज़ार…
कुछ कर दिखा,तू निखर जा,
नए साल में इस बार………..!!
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