QUOTES ON #धूंआ

#धूंआ quotes

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25 SEP 2018 AT 11:45

जल के जो बुझा हूँ.....अब
धूँए की तरह मैं बिखर गया
किसी का दम निकला...तो
किसी के सांसों में अटक गया

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22 APR 2017 AT 22:14

उसको भुलने के लिए इन धूंओ को उड़ाते हैं,
और इन धूंओ को देख उसी को याद किया करते हैं।

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5 JUN 2022 AT 18:17

पर्यावरण की सुरक्षा करो"


कहीं धुंए का गुब्बार है, कहीं बरस रहा कुहासा, 
इंसान तेरे करतूत से प्रकृति हो गई है रूआंसा|


अब भी वक़्त बांकी है,तु गलतियों को सुधार ले, 
अपने आने वाली पीढ़ियों को संकट से उबार ले|


ऐसा काम कर की पर्यावरण का नुकसान ना हो, 
बचा ले कटते वृक्षों को,घर-कानन सुनसान न हो|


आज के स्वार्थ के लिए,ऐ इंसान तु हत्यारा न बन, 
प्राणियों से प्रेम कर , इतना कठोर निर्दयी न बन|


वन और वन्य प्राणियों से ही, प्रकृति का श्रृंगार है, 
पर्यावरण संरक्षित रहेगा ,तभी सुरक्षित संसार है|


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4 MAR 2022 AT 14:17

ये अस्त्रों का शोर ,
ये धूएं का गुब्बार
जानें कितनी जिंदगियाँ निगल जाएगी

ये तबाही का मंजर ये खूनी खेल
बढ़ती जा रही है बैर विष का बेल
हवाओं में ज़हर घुल जाएगी

इंसान ही इंसानों के
बेरहमी से खून बहा रहे हैं
लगता है इंसानियत खत्म होकर रह जाएगी

ये ईर्ष्या और क्रोध की चिंगारी,
ये साम्राज्यवाद की बढ़ती बीमारी
मानवता को खा जाएगी...



— % &

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10 OCT 2020 AT 7:48

इस तरीके से...
मुझको तूने...
छूआ होता है...!

हवा लगती है...
सुलगती हूं...
धुआं होता है...!!

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17 MAR 2020 AT 0:04


बैठे - बिठाए मैं ये क्या सोचता हूँ...।
मैं चारों तरफ अपने धूंआ देखता हूँ...।।

ये कैसी बेख़्याली में गुम है जहन मेरा...।
मैं मेरे ही हाथों में मेरा कफ़न देखता हूँ...।।

बहुत मखसूस था मुझे मेरा अल्फाज़ हो जाना...।
मैं रिसालों में अपनी अब बस इंकलाब देखता हूँ...।।

कौन - कब - किसको रोता है यूँ उम्र तमाम...।
मैं हर रोज चेहरों में नए-नए किरदार देखता हूँ...।।

बखुबी शामिल हैं सभी बर्बादियों में अपनी...।
मैं हर बिखरे शख़्स में अपना अक़्स देखता हूँ...।।

ये जिंदगी कुछ नहीं बस एक सफ़र है मुसलसल...।
मैं शिद्दतों से हर रोज इसके नए-नए ढंग देखता हूँ...।।
📝AFसर©️

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19 JUL 2020 AT 2:25

यूं मुश्किलें पैदा न कर,
झेल नहीं पाएंगा,
ये जो बातें,
राज़ बनाकर, दबाकर रखी है,
बोझ नहीं लगता तुझे इसका ?
ऐ दिल,
बस, इतना बता,
ये धूंआ क्यूं है,
तूभी जला है क्या ?

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11 JUL 2020 AT 10:51

ग़म बहुत है, सोचा धुंए में उड़ा दूं।।

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25 JUN 2019 AT 13:18

मेरी चाहत में वो इक दास्तां हो जाते।
मेरे गले से आ लगते और फ़ना हो जाते।
मैं तो हिज्र की आग में बस जल रहा हूं रह रह कर,
बात उनकी होती तो वो कब के धूंआ हो जाते।।

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