QUOTES ON #धरती

#धरती quotes

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5 JAN 2020 AT 8:06

दिन- रात भू तपती है
आव्हान करती है
पिपासा अमृत की
प्राण प्रिये उबलती है
जग-जल , भू-थल
कर भाग पिघलती है
अनिल-अनल , वात-जल
सब उगलती है
धरा सुंदरी
जग-मग-जग-मग
प्रणय प्रभात करती है !

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सड़के सूनी और गलियां वीरान हैं
देख कर मंज़र परिंदे भी हैरान हैं
दरख़्तों में आई फिर से नई जान हैं
नदियों की कलकल में फिर से मधुर गान हैं
दमघोटू फिज़ाओ में अब जहर के ना निशान हैं
खेत खलिहानों पर आई फिर से नई मुस्कान हैं
चंद रोज में ही जिसे मां कहते हो उस धरती माँ के
गहरे घावों पर थोड़े से मरहम के निशान हैं
चार दिन की तकलीफों से अज्ञानी मानव कितना आहत परेशान हैं और
रोज झेलती लाखों घाव वो धरती माँ कितनी महान हैं......

©कुँवर की क़लम से.…...✍️

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5 JUN 2020 AT 11:45

माटी में बीज बोएँ, पेड़ उगाएँ, धरती बचाएँ!
मन में प्रेम बोएँ, मानव बनाएँ, मानवता बचाएँ!

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19 DEC 2019 AT 21:27

मै चाहती हूँ धरा पर आए
एक दिन, जब नष्ट हो जाए
वो जातियाँ धर्म मज़हब सब
ना मन में द्वेष दिखे ना ही ज़हन में गंदगी
वो भेद रंग- रूप का सब
घुल जाए खारे समन्दरो में कहीं
भाषाएं सारी उड़ जाए हवा में मिलकर
मन दुखी कर रही ये असमानता जल जाए
ग्लोब पर बनी ये टुकड़ों की सीमाएं धुल जाए
संसार में फिर इंसान दिखे... श्वास लेते हुए

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10 NOV 2018 AT 0:30

वसुधा(धरती)

कहीं हूं बंजर, कहीं हूं हरियाली..
कहीं संभाले पानी को,
तो कहीं जंगल का बोझ मुझपर भारी..
बहुत इमारतों की नींव हूं मैं,
बहुत किसानों की आस हूं मैं..
कभी किसीकी मंजिल,
तो कभी किसी भटके की राह हूं मैं..
ना रहने का ठिकाना, ना सर पर छत है..
एेसे ख़ानाबदोशो की खाट हुं मैं..
गिरना है मुझमें, संभलना है मुझमें..
छोड़ देंगी जब सांसे साथ, तो समां जाना है मुझमें..

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8 JUN 2020 AT 20:16

तुम मेरा गुरुर बनना, मैं आँचल बन जाऊंगा
तुम्हारी अदा सादगी की, मैं कायल बन जाऊंगा।
सदियों तक का साथ, रहेगा मेरा और तुम्हारा..
तुम धरती बन जाना, मैं बादल बन जाऊंगा।।

सरेआम हाथ थाम, लोंगों में पागल बन जाऊंगा।
खूबसूरती में लगाने चार चाँद, तेरा पायल बन जाऊंगा।
यूँ गुनगुनाते रहेंगें हम जिंदगी के फसानें लफ़्ज़ों में...
तुम कुछ शब्द लिखना, मैं एक ग़ज़ल बन जाऊंगा।

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20 MAY 2021 AT 19:54

ये नजारा कितनी सुहानी
घेरी है बदल ने धरती को
धरती को चूमने के आतुर हैं
हवाएँ चल रहे संदेश पहुँचने को

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29 JAN 2021 AT 1:40

धरती माँ





धरती तो जीवनदायनी है हमेशा देती ही रहती है

पर अपनी व्यथा किसी से कहती नहीं सर्वदा मौन रहती है




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चीर देता है धरती सूखता नहीं उसका पसीना,
आराम के लिए किसान को मिलता नहीं महीना।

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चीर देंगे फाड़ देंगे धरती में गाड़ देंगे,
जो मां भारती पर उंगली उठाएगा,
छाती पर तिरंगा गाड़ देंगे।
🇮🇳

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