झांसी वाली रानी,
वाराणसी के झांसी शहर में जन्म लेने वाली मैं नारी थी,
छेन,छबीली,रूप सुंदर में बहुत न्यारी थी,
अंग्रेजो के चक्के छुड़ा देने वाली मैं आजादी की दीवानी थी,
मै झांसी वाली रानी थी,
चंचल स्वभाव वाली मैं सब को प्यारी थी,
आजादी की चाहत रखने वाली मैं बड़ी मतवाली थी,
मैं झांसी वाली रानी थी,
पापा की दुलारी थी,
सबसे न्यन की चांद सितारा थी,
मैं नारी आजादी चाहने वाली थी,
मैं झांसी वाली रानी थी,
आजादी कितनी प्रिय थी ये सब तो सब को अब दिखलानी थी,
मिट्ठी की कीमत अब हमको चुकानी थी,
लड़की किसी के कम नहीं ये बात भी अब सब को बतलानी थी,
मैं झांसी वाली रानी थी,
देश के लिए अब देनी हमें कुर्बानी थी,
बहुत हुआ अंग्रेजो का शासन अब उनको धूल चटानी थी,
आजादी की भूख अब घर घर में जगानी थी,
खून तो बहता ही अपनों का लेकिन अंग्रजी सता भी तो डोलानी थी,
युद्ध तो लड़ना और शहीद बन कर जाना हमारी निशानी थी,
सर कटा गई मैं मगर झुकी नहीं मैं वो आजादी कि दीवानी थी,
मैं झांसी वाली रानी थी ।।।
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