तुम्हें ही सोचते हैं,, हम, तुम्हें ही याद करते हैं
तुम्हीँ से जल्द मिलने की,सदा फरियाद करते हैं
तुम्हारा साथ गुजरा ,लम्हा लम्हा याद आता है
इन्हीं यादों के संग दिलको,यूंही दिलशाद करते हैं
मेरा क्या है , मैं टूटा शाख़ से , वो एक पत्ता हूं
हवा का रुख जिधर होगा,उधर आबाद करते हैं
दिएहैं तुमने इतने जख्म,दिल भी छलनी हो बैठा
करोगे और कितने जुल्म,जिगर फौलाद करते हैं
बहुतकुछ सुनचुके अबतक,सफाई औरनादो हमको
तुम्हारी हो गई आदत ,यह क्यों बकवाद करते हैं
चलो छोड़ो हुआ जो भी,भुलाएँ उसको हम फिर से
बिना ही बात अब भी क्यों ,यूं हीं फसाद करते हैं
जहां भी तुम रहो हरदम,वहां खुशहाल ही रहना
दुआ करते हैं हम रब से ,यही फरियाद करते हैं
बस,तुम्हें ही सोचते हैं......
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