मेरे देख आँसू.. जो मुस्कुराते हैं
याद रखना.. दिन बुरे हर शख़्श पे आते हैं,
कुछ नया रखा है शायद दिल की पुरानी टहनी पे
तभी तो मौसम पतझड़ के.. दरख़्त पे आते हैं,
क्या मिलेगा सोच के.. के क्या होगा "मन" मेरे
नये अंकुर भी.. वक़्त पे आते हैं,
जीते-जी ही रिश्ते हैं सब मुहब्बत के
जलाने के बाद लोग कहाँ.. मरघट पे आते हैं,
मेरे देख आँसु.. जो मुस्कुराते हैं
याद रखना.. दिन बुरे हर शख्श पे आते हैं..!
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