🙏कलम की आवाज ,,अन्यायी खेल पर भारी ,🙏
कैसा रस्म है गुलामी का,स्वायत्तता से निरंकुश सलामी का ,,
दास्तां के इस खेल चौकड़ी में आज भी जकड़ी है न्यायिक बेड़ियां ,,
रीति-रिवाज तो धार्मिक हैं,वहां ,, पर हर नीति नायाब सिंहासन से जुड़ी है ,,..
स्वर्ण सिंहासन पर बैठने वाला शख्स स्वयं को जनता का कल्पवृक्ष समझता है ,,...
सभासदों अधिकारियों को रेंगकर समक्ष आनी पड़ती है,,
आज भी निर्मूल आदेश को विवशता से निभानी पड़ती है ,,....
राजा त्यौहार की तरह शादियां मनाता है,,
अपने शोहरत पर यूं ही करोड़ों लूटाता है ,,...
कैसी राज्य है,जहां न्यायपालिका भी नतमस्तक है,
राजा के दरबार में बधाई भी शाष्टांग अष्टक है ,,..
खुद की मनमर्जी से अवैध भी वैध पार्सल है ,
आर्मी के जगह एक कुत्ता एयर चीफ मार्शल है ,,....
चक्री की उपाधि से वर्षों हुकूमत जमाया जाता है,
प्रिय डॉग फु-फु के मौत पर राष्ट्रीय शोक मनाया जाता है,,..
एक दो तीन चार नहीं पांचवीं सगाई पर धूम मचाया जा रहा है ,,...
66 साल की उम्र में 26 साल छोटी बॉडीगार्ड से विवाह रचाया जा रहा है ,.....
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