ये दाग मेरी पहचान नहीं,
तेरी हैवानियत के गवाह है
मेरा तो सिर्फ जिस्म जला था,
तेरी तो रूह ही नापाक है
तुम ज़रा सोचो, अपना ज़मीर लेकर
अब कहां जाओगे
मुझे जलाना चाहते थे,
अब अपना मुंह कहां कहां छुपाओगे
दाग मेरे चेहरे पर है,
पर करतूत तुम्हारी देखेगी दुनिया
मुझे नीचा दिखाना चाहते थे,
तुम खुद सर उठा के ना जी पाओगे
मर्द बनना चाहते थे ना,
पर नामर्दी कि निशानी दे गए
डाल कर तेजाब मुझ पर,
खुद क्या हो, कहानी दे गए
मैं तो आज भी सर उठा के,
मुस्कुरा के जी लूंगी
लेकिन तुम....
तुम उम्र भर धिक्कारे जाओगे
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