QUOTES ON #तरंग

#तरंग quotes

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17 JUL 2019 AT 23:45

अपनी मर्ज़ी करता है
सुनता सब की है मगर
करता अपने मन की
कभी कभी होता है
चंचल तो कभी होता है
ज़िद्दी मन ।।।
बदलता है ऐसे तरंग जैसे
हो इंद्रधनुष के रंग





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16 SEP 2019 AT 11:01

सोचा था ज़िन्दगी यहीं थम कर रह गई।
मगर हमें क्या मालूम था कि ज़िन्दगी
के रंग हमेशा बदलते रहते है।
वो कभी स्थिर नही रहते
जाने अभी कितना ज़हर पीने को है
ज़िन्दगी के गमों का।
शायद अभी बहुत कुछ देखने को है
ज़िन्दगी के बदलते रंगों का।

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14 FEB 2018 AT 22:51

तरंग बन के इस जीवन की,
तुम आए प्रीतम तरुवर से,
जो व्यथा कही ना गयी कभी ,
उमड़ी आतुर हो झर-झर के।
तेरी शीतल सी छाया में,
मन का संपूर्ण संताप मिटा,
बंजारन सी मैं फिरती थी,
तेरे आँगन सोपान मिला|
नेत्र स्वप्न भर सजने लगे,
मन-मंदिर में संचार हुआ,
हृदयगति मद्धम रह न सकी,
तरुणी को तुमसे प्यार हुआ|
घनघोर घटा भी जाने क्यों,
अब तो मनभावन लगती है,
तेरे प्रेम की रश्मि छन-छन,
मुखमण्डल रोशन करती है|
नवकोपल सी मैं बढ़ने लगी,
तेरी प्रेममय रसधार लिए,
बन तरंग सदा अब रहना,
समुचित प्रियवर प्राण प्रिये|

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16 JUL 2017 AT 12:56

तरंग
(Poem In caption)

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18 JUL 2020 AT 9:56

अपना नाम, मेरे हाथों की लकीरों में रंग साथिया,
मेरे दिल से मिला, धड़कन की हर तरंग साथिया।
ये जो बार-बार मेरे इश्क़ पर सवाल करती हो तुम,
पहले इश्क़ से दो पल, ठहर तो मेरे संग साथिया।

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17 JUL 2017 AT 14:46

मेरे हृदय की ये तरंग
कर जाती मुझें पागल हर दम।
सोच कर तेरी बातों को,
ये सांसे भी थम जाती हैं
इन सांसो की जल तरंग पर,
ये इश्क़ के नगमे भी गाती हैं।
तू अपने हुस्न का जादू
ऐसे ही चलाये जा
जहा पड़े कदम तेरे,
तू फ़ूल वही खिलाये जा।
कभी अपनी प्यारी मुस्कान से,
तू लोगों को जलाएं जा
या बन कर मेघा कभी,
अपने इश्क़ से मुझें भिगाए जा।
ये भिखरी जुल्फे तेरी,
क़हर मुझ पर ढहा जाती हैं,
तेरी क़ातिल अदाएं,
मेरे होश खूब उड़ाती हैं।
बरसों बाद आज आंखों में,
झलकी तेरे प्यार की शराब हैं
अपनी शोक अदाओं से,
तू इश्क़ के जाम पिलाये जा।
आज महफ़िल है सजी,
मस्ती भी है भरी,
तू ऐसे ही ए दिलरुबा
अपने प्यार के गीत सुनाये जा
तू बस महफ़िल में आ कर
रंग ए ग़ज़ल जमाए जा।
-Naina Arora

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16 JUL 2017 AT 7:51

जीवन एक तरंग है
बहता है
बहाव में।

जीवन एक उमंग है
प्रफ़ुल्लित होता है
प्यार से।

जीवन एक पतंग है
उड़ता है हवाओ के साथ
रिश्तों की डोरी से।

जीवन तो जीवंत है
बस इंसानियत
के भरोसे से।।

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16 JUL 2017 AT 10:49

मैं देखता हूं एक "तरंग" अपने मन में।
मानो आग दहक रही हो इस तन में।।
कुछ तो है अंदर जो मुझे रुकने नहीं देता।
डगर मुश्किल ही क्यों ना हो, वो झुकने नहीं देता।।
हर पक्षी की नई उड़ान का ये "तरंग" ही गवाह है।
हर लेखक के मन में चल रहे शब्दों का प्रवाह है।।
बारिश की हर बूंद कैसे बेपरवाह मटकती हुई आती है।
पतझड़ में उसकी "तरंग" ही घटा में नया रंग लाती है।।
ये जो विशाल समंदर छूता हर रोज नए मुकाम है​।
इन "तरंगों" का वेग ही सही मायने में इसका परिणाम है।।
हर पल ये "तरंगे" हमें जीवन का अनमोल पाठ सिखाती है।
रुकना नहीं,सतत बहाव ही जीवन है,कितनी आसानी से समझाती है।।
जानो तो "तरंग" मन का एक अटूट भाव है।
और जियो तो असल में यही जीवन का स्वभाव है।।

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19 OCT 2018 AT 11:01

So...
कुछ तरंगे जरुरी है ...
So ठहरे पानी में कंकड़ फेंक देती हूँ ।।

कुछ रंग जरूरी है ...
So अपना लहू घोल देती हूँ ।।

थोड़ा पहचान जरूरी है अस्त्तिव का ...
So खुली छत पे आसमान ओढ़ सो लेती हूँ ।।

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30 SEP 2020 AT 12:49

तेरी मोहोब्बत की जो तरंग है
बना देती मुझे मलंग है
बस तेरी ही चाहत का आसरा है
मैंने उसे ही बनाया जिने का सहारा है
अब तक आहे भरते थे मगर
अब से तेरा दिल ही मेरा बसेरा है

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