फ़िजूल है चुप रहना,
बताओ भी तुम क्या कह रहे हो।
तन्हाई में तुम अकेले,
हँस रहे हो या है दर्द जो सह रहे हो।।
मुझसे स्वच्छंद रहो,
मेरी तमन्ना, हमेशा तुम ही पसन्द रहो।
गुफ्तगू मुझसे क्यूँ बन्द है?
लगता है मुझे, तुम भावनाओं में बह रहे हो।।
मिलो या न मिलो तुम,
रूह में मेरे तुम तो बस रहे हो।
वक़्त के साथ- साथ,
प्रेम की डोरियों से, मुझे कस रहे हो।।
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