QUOTES ON #ढोंगी

#ढोंगी quotes

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23 MAY 2017 AT 17:45

मुझे नहीं आता अलग अलग किरदार जीना,
हां मैं होंठो पे झूठी मुस्कान नहीं ला पाता,
मुझमें नहीं है तुम जैसा ड्रेसिंग सेंस ,
मैं कई दिनों तक सेव नहीं करता ,
नहीं आता मुझे अच्छा दिखना ,
मैं नहीं पहनता दिखाने के लिए कुछ भी ,
बस तन ढक लेता हूँ, मुझे नहीं पता
खुद को कैसे ब्रांड करना है,घटिया
सोच वालों तुम क्या मुझे कपड़ो से तौलोगे,
तुम राक्षसों की औकात नहीं है कि इंसानों को तौल सको,बड़ा फेमिनिज्म का ठेका ले रखा है न तुम लोगों ने , सालों घर में बहन बेटियों को दबा के रखते हो और खुद को फेमिनिस्ट कहते हो।
मैं नहीं हूं तुम्हारे स्टेटस का,मैं ब्रिटिश
एक्सेंट में अंग्रेजी बोलना नहीं जानता
मैं नहीं पीता शराब , मैं सुट्टा भी नहीं मारता
हां मैं शर्माता हूं , मैं लड़कियों से ज्यादा
नहीं घुलता मिलता , पर तुम्हारी तरह
मौके का फायदा तो नहीं उठाता ।
(Rest in caption)

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28 APR 2020 AT 18:25

कोई किसी के साथ मोहब्बत में दगा कर बैठे तो..,
कोई अपनी मोहब्बत को दिल में दबा कर बैठे...!

कहीं कोई वफादारी का ढोंग कर बैठे तो...,
कहीं कोई ढोंगियों से ही वफ़ा कर बैठे....!

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15 MAY 2020 AT 7:19

अब तेरे ही पसंद की बाते होंगी,अवन
अब बस सच में झूठी बातें ही होंगी!

मैं भी थोड़ा ढोंगी बन जाउ तो इसमे हर्ज़ क्या हैं,
आख़िर ये सच्चाई कब तक़ साथ रहेंगी!

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23 DEC 2021 AT 10:32

ये ज़िंदगी भी क्या चीज़ है, हर रोज़ नया रंग दिखाती है
लोगों का समय बदलता है,मेरी समस्या बदल जाती है।

शहद में लिपटी ज़बान से भी छलक जाता है ज़हर
जब गहराइयों में छिपी जलन, हद से गुज़र जाती है।

'भूखे नही मर रहे' कहने वाले, होते हैं इस हद तक भूखे
गरीब की थाली में एक रोटी भी उनसे देखी नहीं जाती है।

भक्त ऐसे भी हैं जो निकलते है दिया बत्ती जला कर
नुक्कड़ तक जाते ही मगर , सिगरेट सुलग जाती है।

घण्टे-घड़ियाल शंख बजाकर कभी जगाया नहीं उसको
आह निकलती है दिल से रेणु,ठाकुर तक पहुँच जाती है।

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3 JUL 2023 AT 17:42


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22 JUN 2020 AT 13:04

क्या मिलता है तुझे यूं झूठ बोलकर
अब कौन नहीं जानता तेरी आदत क्या है
बदल जा ओ मूर्ख.. त्याग दे बुराई
इन दिखावों में भी भला राहत क्या है

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2 MAR 2022 AT 15:26

फूलों का
पत्तियों का क्या दोष?

एक विशेष दिन
फूल पत्तियां
ईश्वर
पर थोपकर,
लिख दी जाती है
श्रद्धा वाली..!
नहीं..

लालच वाली कविताएं।

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10 JAN 2018 AT 9:31

माना इंसान, इंसान के साथ अजीब से खेल में है
ईमान धर्म लगभग सब कुछ ही सेल में है
फिर भी हम बहुत बेहतर हैं उससे
जो कल तक खुदा बना बैठा था और आज जेल में है

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16 JUL 2021 AT 14:23


आजकल के कुछ साधु संत
Read in caption👇

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16 MAY 2023 AT 8:32

सभी यहाँ पर ढोंगी हैं, अलग अलग है वेश
रंग बदलते सब यहाँ, बदले जब परिवेश

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