रोज दे जाती है जीने के बहाने,
कितने ये अनोखे,कितने सुहाने...
जिंदगी ये हुनर कहाँ से लाती है?
खुश होते ही अपना सबकुछ लुटाती है..
बिन अटके हमारे आसपास भटकती है,
तो भी कहाँ कभी ये हवा दिखती है ?
जो भी है दिल मे,बस बोल दो खुलकर,
यूँ घुटकर कब तक है जिंदगी बिताना?
चाहने की रीत उनकी है इतनी अनोखी,
दूर से देखकर बसअपने दिल को मनाना..
आँखों मे दिख जाए बस यहीं काफी है,
और क्या होते है सबूत वफ़ा के ?
बंध बाज़ी कब तक खेलते रहेंगे?
छोड़ हारने का डर और खोल ना पत्ते..
एक अमिट छाप वे दिल मे छोड़ जाएंगे,
आज आये है तो तय है कल वापस है जाना...
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