चमन में भले कोई माली नहीं हैं,
नशेमन गुलों का तो ख़ाली नहीं हैं,
कलम हाथ में है, नशा है ग़ज़ल का,
शराबों की हाथों में प्याली नहीं है।
तू था बेवफ़ा तूने साबित किया है,
मेरा ये यक़ीं बदख़्याली नहीं है।
नहीं माँगते जाओ तुमसे भी अब कुछ,
के आशिक़ है दिल ये, सवाली नहीं है।
इज़्ज़त नहीं गर, तो तोहमत सही पर,
ये दामन हमारा भी ख़ाली नहीं है।
अगर कह दिया उसने मर जाएँगे हम,
कभी बात ज़ालिम की टाली नहीं है।
हमें क्या भला कौन क्या कर रहा है,
ज़माने की हमको स्याली नहीं है।
चुँधया गईं 'साज़' आ़खें सभी की,
यहाँ घर जलें हैं, दिवाली नहीं है।
-