QUOTES ON #जनता

#जनता quotes

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3 MAY 2021 AT 11:34

"तड़प" रहे हैं लोग,"बिलख" रही है उनकी आत्मा,
भीड़ वाली सड़कों पर "सन्नाटा" छाया हुआ है,
शहर बन रहा "लाशों का अंबार" है,
बस यहीं कहना चाहती हूं,
जहां तक हो सके एक दूसरे कि "मदद" कीजिए,
और ना किजिए "हुकूमत" से कोई उम्मीद,
क्यूंकि ये "जनता" कि चुनी हुई नहीं,
ये "अंधभक्तों" के द्वारा चुनी हुई
"अंधभक्तों की सरकार" है...!!!
(:--स्तुति)

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14 OCT 2020 AT 15:30

अबकी बार
लगेगा बेड़ा पार
आएँगे पंद्रह हज़ार
झूमोगे और गाओगे मेरे यार
करते रहो हमारा प्रचार
बन जाएगी हमारी सरकार
तो बन जाएगा तुम्हारा घर बार
ऐसे ही तो चलता है ये संसार
आता है नया फ़नकार
करता है अपना व्यापार
बनती है उसकी सरकार
नईया अपनी लगाता है पार
अकेला रह जाता है जनाधार
करवाता रहता है अत्याचार
अबकी बार
फिर आएगी कोई सरकार

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16 APR 2018 AT 22:08

जनता की आवाज़ सुनो
जनता है नाराज़ सुनो
कल तक जो ख़ामोश थी
चीख रही है आज सुनो

क्रान्ति की आगाज़ सुनो
गिरनेवाली गाज सुनो
सहा बहुत है अब तक हम ने
बदल रहा अंदाज सुनो

जनता का है राज सुनो
जनता ही सरताज़ सुनो
बने रहोगे कब तक बहरे
जनता की आवाज सुनो

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16 MAY 2018 AT 9:09

नेताओं पे फूल बरसाते हैं
और जनता पर पुल

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19 MAY 2020 AT 21:30

चला नहीं बस
तो बस चल पड़ी
बेबस थी जो जनता
वो बस चल पड़ी

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8 DEC 2020 AT 11:55

दिमाग में शोर है ,चलता ना ज़ोर है ,
बेहरी है जनता ,दहाड़ बेज़ोर है..

ख़ुदा के भी राज़ है ,ठुकराई नमाज़ है ..
चीखू भी किस पे..? पुकार बे - आवाज़ है..!

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18 JUN 2021 AT 10:37

किसी ने पूछा "सियासत" क्या होता है,
मैं बोली जनाब जब मैं "आग" लगाऊं,
तुम उसको पूरे चालाकी से "भड़काना",
पर अगर "जनता" देख रही हो
तो "उसी वक्त" तुम भी उसी "आग" में,
जनता को "बेवकूफ" बनाते हुए,
जरा सा "अपना हाथ" भी जलाना,
बस जनाब यहीं "रियासत की सियासत"
का फसाना है..!!!
:--स्तुति

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28 APR 2021 AT 10:57

जब जब "जनता की आवाज"
"सत्ता" के द्वारा दबाई जाती है,
उन पर "अत्याचार" किया जाता है,
तब तब "जनता" कि दबाई हुई आवाज
"आंसू" के रूप में नहीं,
वो बाहर निकलती है "आक्रोश" के रूप में,
और फिर वो "आक्रोश" करती है
"भ्रष्ट सत्ता का सर्वनाश"..!!!
:--स्तुति

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19 APR 2020 AT 18:24

कुछ पत्रकार शहेर गलियों में आते है..!
पूछते कुछ सवाल देश की जनता से..!!

फिर उस न्यूज़ को कुछ इस तरह से दिखते है..!!
हम उन खबरों को देखकर सब समझ जाते है..!!

हमारे पत्रकार हमें किस तरह भड़काते है..!
होती है उनसे भी बहुत सी गलतियां..!!

फिर भी हम चुप कर जाते हैं..!
शुरू हो जाती जब उल्टी गिनती..!!

तब वो माफी मांगने आते है..!
आइना कहते हम पत्रकारों को..!!

हम ही उन्हें आइना दिखाते है..!
ना बतलाओ ऐसी खबरे जनता को..!!

जो हिंदु मुस्लिम का बीज बो जाते है..!
इन बातों से नफरतें फैलती है..!

ये भोली देश की जनता है ..!
क्यूं आप इन्हें इस तरह से लड़ाते है..!!

_📝Razi

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12 AUG 2017 AT 21:00

मेरी पुकार

(Read full poem in caption 👇)

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