जितने भी इल्ज़ाम हैं अपने सर कर जाऊँगा
जिस दिन भी तेरे दिल में मैं घर कर जाऊँगा
तू अब मुझे चाहे ना चाहे तेरी ख़ुद की मर्ज़ी है
साथ जीकर जाऊँगा या फ़िर मर कर जाऊँगा
बहुत मश़हूर इक दिन हमारी ये कहानी होगी
जितने भी ज़ख्म हैं उन्हें साथ लेकर जाऊँगा
दूर जाने में मुझे उस दिन बहुत आसानी होगी
तेरी मुस्कान मैं सबके लिए ज़हर कर जाऊँगा
इश़्क अगर नाम है बिछड़ कर मिलने का लोगों
अपने इश़्क के नाम परियों के पर कर जाऊँगा
जहाँ ज़रूरी था बोलना तुम वहाँ हमेश़ा चुप रहे
सिर्फ़ एक बार बोलूँगा और असर कर जाऊँगा
किसी दौलत,शोहरत का मोहताज नहीं "आरिफ़"
तेरे नाम अपनी ज़िन्दगी और ज़र कर जाऊँगा
"कोरे काग़ज़" पर तेरी तस्वीर बना लूँगा ज़ालिम
जाऊँगा उसमें अपने प्यार का रंग भरकर जाऊँगा
-