QUOTES ON #घरौंदा

#घरौंदा quotes

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31 JUL 2019 AT 0:41

कच्ची मिट्टी का बना है तो क्या हुआ, घर तो है
संगमरमर के बने हुए महल, घर नहीं हुआ करते

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16 JUL 2020 AT 7:24

"बहुत कुछ है कहने को"

खता हुई क्या मुझसे, मिलकर एक बार बताना जरूर
यादें जो रह गयी तुम्हारे पास, साथ उन्हें लाना जरूर।

अभी थोड़ा वक्त और लगेगा, मुझे संभालने में खुद को
बहुत कुछ है कहने को, फुरसत मिले तो आना जरूर।

ऐसे भी कोई रूठता है क्या, अपनों से नाराज यूँ होकर
किस बात पे रूठा है दिल, एक बार इसे मनाना जरूर

बहुत शिद्दत से सजाया है मैंने, इसे तुम्हारी खातिर
कुछ हसीन लम्हें मेरे दिल के, घरौंदें में बिताना जरूर।

ये सफर प्यार का कट जायेगा, मिलकर साथ चलनें से
बढ़ लूंगा मैं दो कदम, दो कदम तुम भी बढ़ाना जरूर।

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21 SEP 2021 AT 13:04

बचपन में तोड़ देते थे मस्ती में अपने घर...
रो लेते फिर हंस लेते और बना देते थे घर...
आज दिल टूट रहा है, ये घरौंदा नहीं है कोई,
ये जवानी हैं,यहां जल जाते हैं जज्बातों के पर...
#यादों_की_कसक

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27 JAN 2019 AT 20:39

इतने तो परिंदे लौटे भी नहीं दिन ढले
जितने घरौंदे उजड़ गए तूफ़ान में

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18 OCT 2017 AT 20:58

वो खेल कबड्डी का
खेल वो गुल्ली-डंडा का
कितना अच्छा था वो बचपन
गुड्डा-गुड़िया मिट्टी का

खेल था लुका-छिपी का
रेस था दौड़ा-धूपी का
कितना अच्छा था वो बचपन
गाड़ी बनाना मिट्टी का

पर्व तो होते थे कुछ खास
दीवाली की तो बात ही किया
पटाके फोड़ना दिन और रात
कितना अच्छा था वो बचपन
घरोंदा बनाना मिट्टी का

हर वो चीज़ छूटा जो बचपन में था
वो मज़ा कहाँ अब जो बचपन में था
माँ से लोरी नानी से कहानी
परेशान करना उन्हें सारी रात
देखी दुनिया देखे इसके सितम
वो जन्नत कहाँ जो बचपन में था
कितना अच्छा था वो बचपन
आशियाना बनाना मिट्टी का

Date:- 18 अक्टूबर 2017 ©©

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18 MAY 2018 AT 21:51

बिखरे तिनकों को गर समेटो तो समेटना तुम कुछ इस तरह कि,
इकट्ठा होने पर किसी का घरौंदा बने, कचरा पात्र का सामान नहीं..!

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15 JUL 2021 AT 22:50

वो शख्स जो शहर-शहर घूमता है,
सुना है, उसमें एक गांव बसता है।
ज़हन में वो इमारतें नई बुनता है,
दिल में फिर भी घरौंदा रखता है।।

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17 NOV 2017 AT 12:35

जो आशियाना,
हमें छोटा लगता है......

उस आशियाने,
के कोने में पंछियों ने अपना पूरा घरौंदा सजा लिया ...

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18 OCT 2017 AT 20:34

बचपन के दिन तो अनमोल होते हैं।
लालच और चिंता से हम दूर होते हैं।
तकिये और रजाई से घरौंदा बनाकर
घर घर खेलने में मजा आता है।
पर चला गया ये बचपन तो
लौट कर नहीं आता है।
बस कुछ यादें छोड़ जाया करता है।
ये बचपन अकसर याद आया करता हैं।

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14 OCT 2018 AT 8:00


टूट रहा घर-घरौंदा पर माथे पर शिकन नहीं,
इंसान आगे बढ़ने की चाह में बहुत पीछे रह गया!

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